मलयेशिया के पीएम को भारत की दोटूक, नागरिकता कानून हमारा आंतरिक मामला
मंत्रालय ने कहा कि मीडिया खबरों के मुताबिक, मलयेशिया के प्रधानमंत्री ने एक बार फिर हमारे आंतरिक मामले पर बयान दिया है। नागरिकता संशोधन कानून तीन देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यक शरणार्थियों को फास्ट ट्रैक आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान करता है। इस कानून से किसी भी भारतीय पर असर नहीं होगा और न ही धर्म के आधार पर किसी को नागरिकता से वंचित रखा जा रहा है।
मलयेशिया के पीएम का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है। हम मलयेशिया से अपील करते हैं कि वे बिना तथ्यों की पूरी समझ के भारत की आंतरिक गतिविधियों पर बयान देने से बचें। कुआलालंपुर समिट-2019 के इतर महातिर ने कहा था कि जब भारत में 70 साल से लोग एक साथ रह रहे हैं तो फिर नागरिकता कानून की क्या जरूरत थी।
इस कानून ने तीन पड़ोसी देशों में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता हासिल करना आसान बना दिया है लेकिन यदि वे मुस्लिम नहीं हैं तो। वह यह सब देखकर दुखी हैं कि खुद को धर्मनिरपेक्ष देश होने का दावा करने वाला भारत अब कुछ मुस्लिमों को उनकी नागरिकता से वंचित करने की कार्रवाई कर रहा है। यदि हम यहां ऐसा करें तो पता नहीं क्या होगा। इससे अराजकता और अस्थिरता फैलेगी और सभी को परेशानी उठानी पड़ेगी।