पाकिस्तानी रुपया नेपाल से भी गया नीचे, भारी तबाही
प्रतिष्ठित आर्थिक समाचार पोर्टल ब्लूमबर्ग ने पाकिस्तानी रुपए को एशिया की सबसे बदतर मुद्रा क़रार दिया है. पिछले साल पाकिस्तानी रुपए में 20 फ़ीसद से ज़्यादा आई गिरावट के कारण ये एशिया की 13 अहम मुद्राओं में सबसे कमज़ोर मुद्रा बन गई है.दैनिक अख़बार जंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तानी रुपए में अकेले मई महीने में ही 29 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
उधर पाकिस्तान के मुकाबले अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल की मुद्राएं स्थिर बनी हुई हैं. एक डॉलर के मुकाबले अफ़ग़ानिस्तान की मुद्रा का मूल्य 79, भारतीय रुपए का 70, बांग्लादेशी टका का 84, नेपाली रुपए का 112 है.
व्यापक उथल-पुथल के कारण इंटर बैंक मार्केट में अफ़रातफरी का माहौल रहा जिसके कारण डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 149 तक लुढ़क गया.
एक्सचेंज कंपनीज़ असोसिएशन ऑफ़ पाकिस्तान के मुताबिक, खुले बाज़ार में एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया औसतन 151 तक पहुंच गया.
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2008 की मंदी की यादें ताज़ा
दो दिनों में ही पाकिस्तानी रुपए में पांच प्रतिशत के अवमूल्यन के कारण व्यवसाय जगत में हड़कंप मच गया है.
पिछले 17 सालों में शेयर बाज़ार का यह सबसे ख़राब सप्ताह साबित हुआ है.
अख़बार डॉन के अनुसार, बाज़ार में उथलपुथल के बीच प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के वित्तीय मामलों के सलाहकार डॉ हाफ़िज़ शेख़ गुरुवार को शेयर मार्केट के कारोबारियों से मिलने कराची पहुंचे.
कारोबारियों ने मौजूदा उथलपुथल को नियंत्रित करने के लिए वित्तीय सलाहकार से एक ‘मार्केट सपोर्ट फंड’ बनाने की अपील की है.
बाज़ार की अस्थिरता से 2008 की यादें एक बार फिर ताज़ा हो गई हैं.
स्थानीय मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, कारोबारियों ने बताया कि इस मुलाक़ात में हाफ़िज़ शेख़ ने इस बावत नेशनल इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को 20 अरब रुपए देने की बात कही है.
हालांकि ये दावा अटकलबाज़ी ही थी. एक बयान में कहा गया है कि, ‘शेयर बाज़ार की मौजूदा हालत को देखते हुए एक फंड बनाने का सुझाव दिया गया जिस पर विचार हो सकता है.’
इस मुलाक़ात के तुरंत बाद वित्तीय सलाहकार और कारोबारी स्टेट बैंक के नए गवर्नर डॉ रज़ा बक़ीर से मिलने गए.
बेलआउट पैकेज से पहले अवमूल्यन
अख़बार डॉन ने इस मुलाक़ात की पुष्टि की है. कुछ कारोबारियों का कहना है कि इसमें सपोर्ट फंड, विनिमय दर और ब्याज़ दरों पर चर्चा हुई.
स्टेट बैंक ने कहा है कि वो सोमवार को अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा.
बाज़ार के सामने ब्याज़ दरों में संभावित बढ़ोतरी और रुपए में लगातार गिरावट के दोहरे झटके से निपटना एक बड़ी चुनौती है.
हालांकि मौद्रिक नीति इस महीने के अंत में घोषित होनी थी लेकिन इसकी तारीख़ 10 दिन पहले खिसका दी गई और कोई कारण नहीं बताया गया है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से बेलआउट को लेकर जबसे समझौता वार्ता शुरू हुई है, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए में गिरावट आ रही है.
मुद्रा विशेषज्ञ और कारोबारियों का मानना है कि यह मुद्रा अवमूल्यन, निकट भविष्य में 6 अरब डॉलर के पैकेज पर अंतिम सहमति का ही एक हिस्सा है.
आरिफ़ हबीब रिसर्च के निदेशक सैमुल्लाह तारीक़ का कहना है, “अब रोक लगनी चाहिए. रोज़-रोज़ के अवमूल्यन और आगे और अवमूल्यन की ख़बरों ने बाज़ार के भरोसे को हिला दिया है. इससे काफ़ी नुकसान हुआ है.”
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महंगाई और बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि ऑटो, सीमेंट और फ़ार्मास्यूटिकल्स जैसे पाकिस्तानी उद्योगों के कच्चे माल के आयात की क़ीमतें बढ़ेंगी जिससे उपभोक्ता पर भार बढ़ेगा.इन उद्योगों में लागत के बढ़ने का असर अर्थव्यवस्था और आम आदमी दोनों पर पड़ने वाला है.हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि अवमूल्यन ज़रूरी हो सकता है, लेकिन इसे एक झटके में होना चाहिए न कि लंबा जाना चाहिए.डॉन ने एक वरिष्ठ बैंकर को बताया कि एक महीने तक डॉलर का मूल्य 141 रुपए पर था जो कि स्थिरता का संकेत है.लेकिन पिछले दो सत्रों ने आयातकों के भरोसे को हिला दिया है.
उन्होंने कहा, “जो भी समझौता हो, इसे सामने लाना चाहिए और पूरे साल के लिए अवमूल्यन एक बार में ही कर देना चाहिए.”