अहमदाबाद। यूं तो गुजरात में शराबबंदी है और यहां अन्य राज्यों की तरह बार या शराब की दुकानें नहीं हैं। लेकिन, यहां हर जगह आसानी से शराब मिल जाती है। शराब की आपूर्ति का एक नया तथ्य उजागर हुआ है, जिसमें कहा गया है कि शराब की हेराफेरी रेलगाड़ियों द्वारा की जा रही है।

पश्चिमी रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक ने गुजरात के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इसका पर्दाफाश किया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के शराब तस्कर रेलगाड़ियों में शराब लाते हैं और जंजीर खींचकर उसे मनमाने रास्ते पर उतार देते हैं।

गुजरात में रेलगाड़ी से शराब की हेराफेरी के बारे में पश्चिम रेलवे ने चार पृष्ठों की एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गुजरात में शराब का बड़ा हिस्सा दमण से आता है। इसे शराब तस्करों द्वारा वापी और उदवाड़ा से पार्सल के रूप में चढ़ाया जाता है। सूरत आने से पहले ही इसे उतार दिया जाता है। शराब तस्कर जंजीर खीचंकर रेलगाड़ी को रोकते हैं। रेलगाड़ी के धीमा होते ही वे पार्सल रास्ते में ही फेंक देते हैं। इस प्रकार जंजीर खींचने की 2014 में 164 घटनाएं और 2015 में अबतक यह घटनाएं बढ़कर 22 हो गई हैं। इस बार सूरत रुट से 22 बार शराब पकड़ी गई है। इस तरह ट्रेन रोकने का विपरित प्रभाव अहमदाबाद आने वाली अन्य ट्रेनों पर पड़ता है।

पश्चिम रेलवे के पीआरवो प्रदीप शर्मा ने बताया कि शराब की हेराफेरी के संदर्भ में गुजरात पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखा गया है। इसमें शराब तस्करों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए कहा गया है। वे भी गुजरात पुलिस के साथ शराब तस्करों पर नजर रख रहे हैं।

गौरतलब है कि शराब की बढ़ रही हेराफेरी को रोकने के लिए नवसारी और उदवाड़ा रेलवे स्टेशन पर 25 से अधिक सीसीटीवी लगाने का काम किया गया है। इसके अलवा रेलवे की तरफ से आरपीएफ के 500 से अधिक जवानों को इस रुट की ट्रेनों में तैनात किया गया है।

कच्छ-लोकशक्ति एक्सप्रेस, सौराष्ट्र एक्सप्रेस शराब तस्करों के पसंदीदा

गुजरात में शराब की हेराफेरी सबसे अधिक कच्छ एक्सप्रेस, सौराष्ट्र एक्सप्रेस और फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस में होती है। शराब तस्करों के लिए इन ट्रेनों से शराब ले जाना आसान रहता है। इसके अलावा शराब की हेराफेरी के लिए भी समय तय किया गया है। शराब तस्कर सुबह 6.30 बजे से 11.30 बजे तक की ट्रेनों में शराब की हेराफेरी करते हैं।