नई दिल्‍ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संविधान में किसी भी नागरिक को मौलिक अधिकारों के तहत निजता का अधिकार नहीं मिला है।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस जे चेलामेश्‍वर के नेतृत्‍व वाली पीठ को बताया कि संविधान किसी भी नागरिक को निजता का अधिकार नहीं देता है।

रोहतगी ने 1950 के दशक में दिया सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आठ सदस्‍यों की पीठ ने फैसला दिया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।

उन्होंने पीठ को बताया कि देश में निजता के अधिकार पर कानून अस्पष्ट है। इसके साथ ही उन्‍होंने अपील की है कि मुद्दे पर एक आधिकारिक फैसले को पारित करने के लिए एक बड़ी बेंच के गठित की जानी चाहिए।

अदालत कई याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है, जिसमें आधार योजना की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह कार्यक्रम नागरिकों की निजाता के अधिकार का उल्‍लंघन करता है। रोहतगी ने कहा कि जब यह कानून ही नहीं है, तो लोगों की‍ निजता के उल्‍लंघन का सवाल ही पैदा नहीं होता।