रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए बैंकों को ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट शुरू करने की इजाजत दी है जिनमें ज्यादा ब्याज मिलेगा लेकिन शर्त ये है कि उन्हें लंबी अवधि तक तोड़ा नहीं जा सकेगा. यानी परिपक्वता की तारीख के पहले उनसे धन नहीं निकाला जा सकेगा. इससे बैंकों के पास धन की समस्या नहीं होगी. अभी फिक्स्ड डिपॉजिट से लोग कई बार परिपक्वता की अवधि पूरी होने के पहले पैसे निकाल लेते हैं. इससे बैंकों का एसेट और देनदारी के बीच का संतुलन गड़बड़ हो जाता है. इससे कई बार उनके सामने धन का संकट खड़ा हो जाता है.

अब बैंक उन लोगों को ज्यादा ब्याज दे सकेंगे जो अपने फिक्स्ड डिपॉजिट को नहीं तुड़वाएंगे. इससे बैंकों को धन का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी. अब बैंक एक करोड़ रुपये तक के इस तरह के फिक्स्ड डिपॉजिट ले सकेंगे. रिजर्व बैंक इसके लिए नए नियम शीघ्र ही जारी करेगा. उसके बाद पता चलेगा कि बैंक इस तरह के डिपॉजिट पर कितना ब्याज ऑफर करते हैं.