वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत की अपनी यात्रा को लेकर चीन की प्रतिक्रिया पर हैरानी जताते हुए कहा है कि बीजिंग को नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच अच्छे संबंधों के कारण डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. ओबामा ने ‘सीएनएन संडे’ के एक लोकप्रिय टॉक शो फरीद जकारिया’ ज जीपीएस में कहा, ‘‘मैंने जब सुना कि चीन सरकार ने इस प्रकार के बयान दिए हैं तो मुझे हैरानी हुई. भारत के साथ हमारे अच्छे संबंधों के कारण चीन को डरने की कोई जरूरत नहीं है.’’

 अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस साक्षात्कार में नवंबर में की गई चीन की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने चीनी समक्षक के साथ कई सफल बैठकें की हैं. ओबामा का यह साक्षात्कार उनके तीन दिवसीय भारत दौरे के आखिरी दिन, 27 जनवरी को नई दिल्ली में रिकॉर्ड किया गया था.

 ओबामा ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस समय हमारे पास ऐसा फार्मूला तैयार करने का मौका है जिससे सभी को फायदा हो. इस फार्मूले के तहत सभी देश समान नियमों एवं मानकों का पालन करें. हमारा ध्यान हमारे लोगों को समृद्ध बनाने पर केंद्रित है लेकिन हम सब के साथ मिलकर इस मकसद को पूरा करना चाहते हैं न कि दूसरों की कीमत पर. प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी के साथ मेरी चर्चाएं इसी पर केंद्रित थीं.’’

 अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि चीन का शांतिपूर्ण विकास अमेरिका के हित में है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए अस्थिर, आर्थिक रूप से कमजोर और बंटा हुआ चीन खतरा है. यदि चीन विकास कर रहा है तो यह हमारे लिए बेहतर है.’’

 ओबामा ने जोर देकर कहा, ‘‘लेकिन मैंने अपने कार्यकाल की शुरआत से ही कहा है कि चीन का विकास दूसरों की कीमत पर नहीं होना चाहिए. उसे नौवहन मुद्दों को लेकर वियतनाम या फिलीपीन जैसे छोटे देशों को डराना नहीं चाहिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार इन मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान निकालना चाहिए. उसे व्यापार में अपने फायदे के लिए अपनी मुद्रा की विनिमय दर से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.’’

 उन्होंने कहा, ‘‘कभी कभी इन मुद्दों पर चीन से प्रतिक्रिया लेने में हम बहुत सफल हुए हैं. बहरहाल, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे बीच रचनात्मक संबंध बने रहें.’’ ओबामा ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि भारत के कई पहलू हमें उसके करीब लाते हैं. विशेष तौर पर, वहां लोकतंत्र है और वह एक तरीके से हमारे अपने देश के कुछ मूल्यों और महत्वाकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है जो चीन नहीं कर सकता इसलिए मुझे निजी तौर पर लगता है कि वहां एक समानता है और मेरे विचार से, अमेरिका के लोग भी ऐसा ही सोचते हैं.’’