पहले टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखाया गया, फिर वो खुद भी लाइमलाइट से दूर हुए और अब खराब फॉर्म से जूझ रहे धमाकेदार भारतीय सलामी बल्लेबाज ने अपनी घरेलू टीम से भी मुंह मोड़ लिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं वीरेंद्र सहवाग की जिन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ मैच से पहले टीम से अपना नाम वापस ले लिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सहवाग ने अपने मौजूदा खराब फॉर्म से निराश होकर ये फैसला लिया है। ऐसे में ये भी खबरें अब जोरों पर हैं कि क्या यही सहवाग के करियर का आखिरी मोड़ है?

चयन समिति के चेयरमैन चेतन चौहान ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि, ‘सहवाग ने खांसी-जुकाम के कारण मैच से अपना नाम वापस लिया है। सहवाग ने फीवर होने की बात भी कही है।’ सहवाग ने दिल्ली टीम के मुख्य कोच संजीव शर्मा को सुबह 7.15 बजे फोन पर एसएमएस के जरिए इस बात की जानकारी दी, जबकि अभ्यास सत्र सुबह 7.30 बजे शुरू होना था। शर्मा ने इस बात की जानकारी देते हुए ये तो बताया ही कि सहवाग ने तबीयत खराब होने की वजह से अपना नाम वापस लिया है लेकिन उन्होंने सबको ये कहकर भी चौंका दिया कि, ‘अगर वो (वीरू) ये मैच खेलते तो ओपनिंग ही करते।’

एक सीनियर डीडीसीए अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि, ‘देखिए, सबको पता है कि सहवाग को पारी की शुरुआत करने में दिक्कत है। उन्होंने खुद इस बात को कई बार साफ किया है कि वो ओपनिंग नहीं करना चाहते। शायद टीम मैनेजमेंट भी अब उन्हें संदेश देना चाह रही है कि उनका ओपनिंग करना ही टीम के पक्ष में है।’ इन बयानों से एक बात साफ हो जाती है कि सहवाग अपने खराब फॉर्म से तो जूझ ही रहे हैं, साथ ही वो दिल्ली के टीम मैनेजमेंट के साथ भी सही तालमेल नहीं बना पा रहे हैं, जो चिंता का विषय है क्योंकि यही एक ऐसा मंच है जिसके जरिए वीरू फॉर्म हासिल करके दोबारा टीम इंडिया में जगह बनाने का प्रयास कर सकते हैं।

35 वर्षीय सहवाग ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब के खिलाफ 14 और 10 रनों की छोटी व प्रभावहीन पारियां खेली थीं, जिस दौरान उनका फुटवर्क और बल्लेबाजी की शैली पर भी कई सवाल उठाए जाने लगे थे। गौरतलब है कि सहवाग ने अपना आखिरी टेस्ट मैच मार्च 2013 में खेला था और अब टेस्ट टीम से बाहर हुए उन्हें पूरा एक साल हो गया है जबकि आखिरी वनडे उन्होंने जनवरी 2013 में खेला था। कुल 104 टेस्ट में 8586 रन और 251 वनडे मैचों में 8273 रनों के साथ-साथ दोनों प्रारूपों को मिलाकर कुल 38 शतक लगाने वाले इस धुआंधार बल्लेबाज का करियर खत्म होता दिखने लगा था लेकिन दिल्ली टीम से नाम वापस लेने का कारण अगर तबीयत खराब होना नहीं है तो मुमकिन है कि वीरू अब अपने करियर के आखिरी मोड़ के बारे में विचार करने लगे हैं।