विदेशी नागरिकता हासिल करने में टॉप पर भारतीय
पैरिस में गुरुवार को ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डिवेलपमेंट (OECD) की तरफ से गुरुवार को जारी इंटरनैशनल माइग्रेशन आउटलुक (2017) रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 में 20 लाख नागरिकों ने OECD देशों की नागरिकता हासिल की, जो कि 2014 में इससे 3 प्रतिशत अधिक थी। OECD यूरोपीय देशों, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड और जापान सहित 35 देशों का वैश्विक थिंक टैंक है। इससे पहले इसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विश्व में भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक है। 156 लाख भारतीय विदेशों में निवास करते हैं।
OECD के सेक्रिटरी जनरल ने कहा, ‘प्रवासियों, उनके बच्चों और शरणार्थियों को शामिल करने में सुधार करना सभी के लिए समावेशी और संपन्न भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण है।’ वहीं, OECD में नए प्रवासियों की सूची में चीन शीर्ष पर बना हुआ है। हालांकि, सीरिया में शुरू हुए शरणार्थी संकट के कारण प्रवासियों की संख्या में आई तेजी के कारण भारत इस सूची में खिसक कर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है।
OECD देशों में नए प्रवासियों की संख्या 2015 में 70.39 लाख रही है और इनमें से चीन का 7.8 प्रतिशत हिस्सा रहा है। 2013 में 10 में से सिर्फ एक ही प्रवासी चीनी होते थे। OECD देशों में भारतीयों के प्रवास में गिरावट आई है। 2013 में 4.4 थी जो 2015 में 3.9 हो गई है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी उन देशों में जहां भारतीय सबसे अधिक बसना पसंद करते हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स में सबसे अधिक संख्या चीनी और भारतीय नागरिकों की रहती है। OECD देशों में 50 प्रतिशत से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स एशियाई देशों से हैं।
2014 में 6 लाख चीनी स्टूडेंट्स ने विदेशी शिक्षण संस्थानों में ऐडमिशन लिया था, जबकि इस दौरान भारत से 1.86 लाख स्टूडेंट्स को विदेश में शिक्षा का अवसर मिला था।