एक साल पहले उत्तर प्रदेश सहित देश को पोलियो फ्री घोषित करने के बाद अब बरेली में 200 टेस्ट पॉजिटिव मिले हैं, जिनमें पोलिए जैसे लक्ष्ण मिले हैं। मामला सामने आने के बाद यहां के बहेरी, मीरगंज, फरीदपुर, नवाबगंज सहित अन्‍य तहसीलों से प्रभावित बच्चों के स्टूल (मल) के सैंपल लिए गए हैं। इन्हें जांच के लिए मुंबई के लैब में भेज दिया गया है। प्रभावित बच्चों की प्रारंभिक जांच जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ डब्ल्यूएचओ टीम ने भी की है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारियों ने यह भी कहा कि 5 से 15 साल के बच्‍चों में पैरालिसिस सहित पैरों की मांसपेशियों में शक्ति की कमी की शिकायत की गई है।
क्या है मामला?
बरेली के बहेरी, मीरगंज, फरीदपुर, नवाबगंज सहित अन्‍य तहसीलों से लोग अपने बच्चों को लेकर डॉक्टरों के पास पहुंचे। कई बच्चों को लकवा लगने की शिकायत थी। उनके पैर का कड़ापन भी खत्म हो गया था। इससे सतर्क हुए स्वास्थ्य विभाग ने डब्ल्यूएचओ को जानकारी दी। इसके बाद बरेली ब्रांच की टीम डॉ. नम्रता, डॉ. स्मृति और डॉ. एस कौशिक ने बारी-बारी से बच्चों की जांच की। उसके बाद स्टूल टेस्ट के लिए नमूने लिए गए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी अलग से नमूने लेकर जांच के लिए भेजा है।
1000 सैंपलों में एक निकलता है पॉजिटिव
हालांकि, पोलियो के संदिग्ध एक हजार नमूनों में सिर्फ एक के पॉजिटिव निकलने की आशंका रहती है, लेकिन अभी तो बरेली के स्वास्थ्य विभाग और डब्ल्यूएचओ में इन 200 नए मामलों को लेकर सर्तकता है। प्रभावित बच्चों की प्रारंभिक जांच जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ डब्ल्यूएचओ टीम ने भी की है। फिलहाल इसके रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। बरेली के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) मनोज शुक्ला वैसे तो इस प्रकरण को बहुत गंभीर नहीं मानते, लेकिन सजगता जरूर बरत रहे हैं। उन्होंने बताया कि गए नमूनों को जांच के लिए मुंबई में केंद्रीय प्रयोगशाला में भेजा दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।
हाथ-पैर में कमजोरी का मतलब सिर्फ पोलियो नहीं होता
स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, हाथ-पैर में कमजोरी महसूस करने का यह मतलब नहीं है कि बच्चा पोलियो से ग्रस्त है। जब तक कि स्टूल (मल) टेस्ट की रिपोर्ट से इस बात कि पुष्टि नहीं हो जाती कि बच्चे के शरीर में पोलियो के वायरस पाए गए हैं, तब तक इसे पोलियो केस नहीं माना जा सकता है।
क्या है नियम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, तीन साल तक पोलियो के जीरो रिकॉर्डेड केस की स्थिति में ही किसी देश को पोलियो मुक्त देश का स्टेटस दिया जा सकता है। सालों तक पोलियो कैंपेन चलाने के बाद साल 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के रूकसार नाम के बच्चे में पोलियो के वायरस पाए गए थे। इसके तीन साल बाद भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया था।
2010 में यूपी में मिला था पोलियो का आखिरी केस
बरेली में पोलियो का आखिरी केस साल 2009 में भामुरा गांव में पाया गया था, जबकि प्रदेशभर में पोलियो का आखिरी केस फिरोजाबाद जिले में साल 2010 में मिला था। साल 2015 में डब्ल्यूएचओ ने यूपी से 5 हजार 551 सैंपल लिए थे। जांच के बाद इनमें से अधिकतर नेगेटिव पाए गए हैं, बाकी 787 सैंपलों की रिपोर्ट अभी आना बाकी है। इस साल पाकिस्तान में पोलियो के 25 और अफगानिस्तान में 3 केस मिले हैं। ऐसे में हमें सजगता बरतने की जरूरत है, क्योंकि हमारे देश की सीमा इन दोनों देशों से जुड़ी हुई है।