नेपाल के ऐतिहासिक शहरों में मौजूद सदियों पुराने मकानों को ढहाया जा सकता है। 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूंकप के बाद नेपाल सरकार ने अब उन मकानों को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया है, जो आगे चलकर असुरक्षा का कारण बन सकते हैं। गौरतलब है कि 12वीं सदी में स्थापित और यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल भक्तपुर अब मलबे के ढेर और तबाह स्मारकों से अटा पड़ा हुआ है। इस बीच, आर्मी ने यहां भूकंप से बर्बाद 15वीं सदी के दत्तात्रेय मंदिर को भी तोड़ने का काम शुरू कर दिया है।
भक्तपुर में अभी भी ऐसे सैकड़ों मकान मौजूद हैं, जो भूकंप के जबरदस्त झटके में खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं। भक्तपुर के मुख्य जिला प्रशासक अनिल कुमार ठाकुर ने कहा, “जो इमारतें दूसरों के लिए खतरा बन सकती हैं, उन्हें ढहा दिया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा है कि अगर मकान मालिक इसके लिए अपनी रजामंदी नहीं भी देता है, तो भी मकान गिरा दिया जाएगा।
नेपाल सरकार ने विदेशी पर्यटकों को एक बार फिर से आकर्षित करने के लिए क्षतिग्रस्त स्मारकों की मरम्मत करेगी। बता दें कि पिछले महीने आए 7.8 तीव्रता के भूकंप के तेज झटकों ने नेपाल के 600 से ज्यादा मंदिरों, स्टैच्यू व देशभर में मौजूद म्यूजियम्स को भारी नुकसान पहुंचाया था। इसमें 1832 में बनी काठमांडू की 200 फीट ऊंची धारहारा मीनार भी शामिल है, जो अब नहीं है।