निवेश के लिए जरूरी है कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती: मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यम
आज जारी होंगे जीडीपी के आंकड़े
साल 2019-20 की पिछली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था पांच फीसदी बढ़ी है। यह दर पिछले छह सालों में सबसे कम है। सरकार शुक्रवार को जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े जारी करेगी।
4.7 फीसदी पर आ सकती है विकास दर
उपभोक्ता मांग और निजी निवेश में कमी के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की विकास दर छह साल से भी ज्यादा नीचे जा सकती है। आज जीडीपी के आंकड़े जारी किए जाएंगे। इससे पहले गुरुवार को विशेषज्ञों के बीच कराए गए एक सर्वे में पता चला है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी पर आ सकती है।
सितंबर में की थी कटौती
बता दें कि सितंबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का एलान किया था। घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 फीसदी किया गया था। जबकि सरचार्ज और सेस जोड़कर प्रभावी दर 25.17 फीसदी हो गई थी। पहले यह दर 30 फीसदी थी।
इसके साथ ही एक अक्तूबर के बाद बनने वाली विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 15 फीसदी कर दी गई थी। सभी तरह के सरचार्ज और सेस जुड़ने के बाद कर की दर 17.01 फीसदी हो गई थी।
क्या है कॉर्पोरेट कर ?
कॉर्पोरेट कर या कॉर्पोरेट टैक्स कंपनियों पर लगाया जाता है। प्राइवेट लिमिटेड, सूचीबद्ध और असूचीबद्ध सभी कंपनियां इस कर के दायरे में आती हैं। कंपनियों की आय पर कॉर्पोरेट टैक्स लगाया जाता है। कॉर्पोरेट कर सरकार के सालाना राजस्व का प्रमुख जरिया होता है। कॉर्पोरेट कर घटाने का फैसला सभी घरेली कंपनियों और नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों पर लागू होगा। कॉर्पोरेट कर को निगम कर या कंपनी कर भी कहा जाता है।