हदू धर्म का त्योहार नागपंचमी बुधवार को श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। महानगर और उसके आसपास के शिव मंदिरों को बिजली के झालरों से सजाया गया है तो कहीं फूलों से। श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक एवं पूजन अर्चन होगा। स्वयंसेवी संगठनों द्वारा मंदिर पर श्रद्धालुओं के लिए निश्शुल्क दूध, वेलपत्र आदि वितरित करने के लिए स्टाल लगा दिए हैं।

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भक्त करेंगे सुख समृद्धि की कामना

सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन श्रद्धालु नाग देवता का पूजन कर सुख समृद्धि की कामना करेंगे। ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र उपाध्याय एवं पं. शरद चंद्र मिश्र बताते हैं कि बुधवार को सूर्योदय 5 बजकर 35 मिनट और पंचमी तिथि का मान 57 दंड 26 पला यानी पंचमी तिथि आधी रात के पश्चात रात्रि शेष 4 बजकर 33 मिनट तक है। धर्मग्रंथों में श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग पूजा का विधान है।

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ऐसे करें पूजा

नागपंचमी के दिन सुबह घर की सफाई व नित्यकर्म से निवृत्त हो होने के बाद स्नान करें तथा तत्पश्चात व्रत रखें। पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएं। व्रत के साथ एक बार भोजन का ही नियम है। पृथ्वी या दीवार पर नागदेव का चित्र बनाएं। स्वर्ण, रजत, कांस्य या मृतिका से नाग बनाकर पुष्प, गंध, धूप, दीप एवं विविध नैवेद्यों से नागों का पूजन होता है। नागदेवता का दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल, सेंवई व मिष्ठान आदि से भी पूजन कर भोग लगाएं। नागपंचमी के दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करें।

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मंदिरों के आसपास हुई साफ-सफाई

सुबह ही अवर अभियंता स्टोर मनोज श्रीवास्तव, मुख्य सफाई निरीक्षक अखिलेश श्रीवास्तव, पीएन गुप्ता, सफाई निरीक्षक श्रद्धानंद गुप्ता, श्रवण सोनकर ने महादेव झारखंडी शिव मंदिर, मुक्तेश्वर नाथ मंदिर राजघाट, मानसरोवर मंदिर अंधियारी बाग, जटाशंकर शिव मंदिर सहित शहर के सभी शिव मंदिरों के आसपास फैले गंदगियों की साफ-सफाई और चूने का छिड़काव कराया।