भोपाल(ब्यूरो)। पुलिस महकमा सूबे के नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को उनके मूल वेतन की 70 प्रतिशत अधिक राशि देने के संबंध में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजेगा, जबकि पुलिसकर्मियों को मिलने वाले अन्य भत्तों में इजाफे की भी मांग होगी, वहीं पुलिस आरक्षक से लेकर निरीक्षकों के बधाों को उधा शिक्षा के लिए दो लाख रुपए तक तथा बालिकाओं को छात्रावास में रहने के लिए 20 हजार रुपए का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा।

यह निर्णय मंगलवार को पुलिस परामर्शदात्री व केंद्रीय प्रबंधन समिति की वार्षिक बैठक में हुए। डीजीपी सुुरेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने हाल में पौष्टिक आहार भत्ता बढ़ाया है। हुडको से ऋ ण लेकर पुलिसकर्मियों के लिए 10 हजार मकान बनाए जा रहे हैं। इनके अलावा 25 हजार मकान और बनेंगे। पुलिस में पदोन्न्ति के अवसर व 26 हजार नए पद बढ़े हैं।
बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय
-पुलिसकर्मियों के बधाों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों, इंजीनियरिंग, चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययन के लिए प्रोत्साहन राशि अब दोगुनी।
-बीमारी सहायता बढ़ाकर अधिकतम 40 हजार रुपए होगी।
-प्रदेश से बाहर उपचार कराने पर कुल खर्च तथा शासन द्वारा प्रतिपूर्ति राशि के अंतर की आधी राशि पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना निधि से।
– ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने पर उपचार का सारा व्यय पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा निधि से।
-40 वर्ष से अधिक आयु के पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों का अनिवार्य स्वास्थ्य परीक्षण।
-महिला कर्मचारियों के बधाों के झूलाघर हेतु इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल इकाइयां प्रस्ताव बनाएंगी।
पदोन्‍नति परीक्षा से या परंपरा से
सूत्र बताते हैं कि बैठक में पुलिस बल की पदोन्न्तियों के लिए विभागीय परीक्षा लेने का मामला भी उठा। इससे यहां मौजूद मैदानी पुलिसकर्मियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। दरअसल डीजीपी सुरेेंद्र सिंह ने सवाल उछाला कि पदोन्नातियों का तरीका क्या होना चाहिए,परीक्षा या वरिष्ठता?
डीजीपी ने यह भी कहा कि 15-20 फीसदी कोटा परीक्षा का तय कर दें? इससे पहले एडीजी प्रशासन एसके सक्सेना ने उनसे इस बारे में चर्चा की थी। जब पुलिसकर्मी असहज नजर आने लगे तो डीजीपी ने मुस्कुराते हुए अगले विषय पर चर्चा शुरू करा दी।