आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाउद्दीन पर यूएन नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल (यूएनएससी) की ओर से बंदिशें लगवाने की भारत की कोशिशों में चीन ने अड़ंगा लगा दिया है। ऐसा तब है, जब पीएम मोदी हाल ही में चीन दौरे से आतंकवाद पर मिलकर लड़ने का वादा लेकर लौटे हैं। माना जाता है कि हिजबुल का यह प्रमुख पाक अधिकृत कश्मीर स्थित अपने ठिकाने से भारत के खिलाफ ऑपरेट कर रहा है। भारत का आरोप है कि कभी युनाइटेड जिहाद काउंसिल का मुखिया रहा सलाउद्दीन का अल-कायदा से भी रिश्ता है।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, सलाउद्दीन को आतंकियों की लिस्ट में शामिल करवाने के लिए भारत यूएनएससी के 15 मेंबर्स के समर्थन लेने की कोशिश में जुटा हुआ है। कायदों के मुताबिक, आतंकी की संपत्तियों को फ्रीज करने और उसकी यात्राओं पर बैन के लिए मेंबर्स की मदद की जरूरत पड़ती है। बीजिंग में मौजूद सूत्रों के मुताबिक, चीन अपने पड़ोसी की इस कवायद पर टेक्निकल होल्ड लगाने की फिराक में है। उसका कहना है कि उसे सलाउद्दीन के अल-कायदा से कनेक्शन के लिए और ज्यादा सबूतों की जरूरत है। भारत को चिंता है कि चीन की इस पहल की वजह से उसकी यह कोशिश पटरी से उतर जाएगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि चीन इस काउंसिल का वीटो पावर वाला सदस्य है। चीन इससे पहले भी कई बार, पाक आतंकी सरगनाओं को ब्लैकलिस्ट करने से जुड़ी भारतीय रिक्वेस्ट्स पर टेक्निकल होल्ड लगा चुका है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को खुश करने के लिए वह ऐसा करता रहा है। ताजा मामले पर चीन ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कमेटी के अंदर के डिस्कशन का मामला है।