लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के अनुमान के बीच कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने साफ किया है कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी तीसरे मोर्चे या फेडरल फ्रंट को समर्थन देने की बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे. अंग्रेजी अखबार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में छपी खबर के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने बताया कि पहले भी ऐसे गठबंधनों की सरकार बनी है जो सफल नहीं हो सकी. ज्यादातर सरकारों पर अस्थिरता का खतरा मंडराता रहता है.

गौरतलब है कि हाल में कई कांग्रेसी नेताओं ने मोदी को सत्ता से दूर रखने के लिए तीसरे मोर्चे या किसी भी सेकुलर फ्रंट को समर्थन देने की बात कही थी. इसमें विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व अपने नेताओं की इस बयानबाजी से नाराज है. इस वजह से खुर्शीद भी अपने बयान से पीछे हट गए हैं.

सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने पार्टी के अधिकारियों को जोर देकर कहा है कि चुनाव के बाद कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव किए जाएंगे. राहुल गांधी की प्राथमिकता संगठन को मजबूत करना है. खासकर उन राज्यों में जहां पर कांग्रेस कमजोर है और क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत. नेताओं का मानना है कि आने वाले समय में कांग्रेस में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे.

अब लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो चरण के मतदान बाकी हैं. पार्टी रणनीतिकारों ने अभी से ही नतीजों के बाद की परस्थिति को लेकर माथापच्ची शुरू कर दी है. पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘सबकुछ इस पर निर्भर करेगा कि पार्टी कितनी सीटें जीत पाती है.’

चुनाव नतीजों को लेकर पार्टी के अंदर दो धड़े हैं. एक ग्रुप मानता है कि पार्टी की हालत बेहद खराब है. इस बार 100 के आंकड़े तक पहुंच पाना बेहद मुश्किल है. वहीं, दूसरे ग्रुप को उम्मीद है कि पार्टी के खाते में 140 सीटें आएंगी, जो 2009 के 206 सीटों से बेहद कम है.