अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों को झटका दिया है. अमेरिका ने एच1बी वीजा की प्रीमियम प्रोसेसिंग अस्थायी रूप से बंद कर दिया है. इसका मतलब ये है कि एच1बी वीजा पहले फटाफट प्रोसेस हो जाता था, लेकिन अब इसमें सामान्य वीजा जैसे ही समय लगेगा. एच1बी वीजा पर अमेरिकी सरकार का ये फैसला 3 अप्रैल से लागू होगा.  इस फैसले से विप्रो और टीसीएस सहित कई भारतीय आईटी कंपनियां दबाव में है.

अमेरिका में मिले नैस्कॉम प्रेसिडेंट

ट्रंप का भारतीय आईटी कंपनियों को झटका, एच1बी वीजा नियमों में की सख्ती

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों को झटका दिया है. अमेरिका ने एच1बी वीजा की प्रीमियम प्रोसेसिंग अस्थायी रूप से बंद कर दिया है.

मसले पर नैस्कॉम के प्रेसिडेंट आर चंद्रशेखर ने वॉशिंगटन में ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन से मुलाकात की. आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम के प्रेसिडेंट आर चंद्रशेखर के मुताबिक अमेरिका के इस फैसले से कारोबार पर असर पड़ेगा. हालांकि इस बारे में अमेरिकी प्रशासन से बातचीत चल रही है. आर.चंद्रशेखर के मुताबिक एच1बी वीजा से जुड़े मामले अमेरिकी नियमों के अधीन हैं और भारतीय कंपनियों ने वीजा के लिए सभी नियमों का पालन किया है. हालांकि, एच1बी फास्ट-ट्रैक वीजा को सस्पेंड करने का असर पड़ेगा. भारत में यूएस एम्बैंसी के साथ मिलकर काम करेंगे और कारोबार में अड़चन न आए इसका ध्यान रखा जाएगा.

क्या है एच1बी वीजा?  

एच1बी वीजा अमेरिका में आने वाले बाहर के एक्स‍पर्ट्स लोगों को अपनी विशेषज्ञता सेवाओं का लाभ देने के लिए जारी किया जाता है. हालांकि इसे बीते कुछ सालों में लगातार महंगा और मुश्किल बनाया गया है, लेकिन इंडियन आईटी प्रोफेशनल्स की सैलरी अमेरिकी इंजीनियर्स की तुलना में कम होती है, लिहाजा कंपनियां लॉस उठाकर भी उन्हें हायर करती है या फिर इंडिया से अमेरिका ट्रांसफर करती हैं. अमेरिका में एच1बी वीजा नियमों में सख्ती  को लेकर जनवरी में बिल पेश किया गया था.