‘टोक्यो ओलंपिक हमारा प्रमुख लक्ष्य, ,अब दुनिया की शीर्ष टीमों से नहीं डरती भारतीय टीम’
रानी रामपाल ने कहा, ‘हमारी टीम अब दुनिया की शीर्ष टीमों से नहीं डरती है। 2019 में हमारा लक्ष्य है कि 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना है। हमारी महिला हॉकी टीम का राष्ट्रीय शिविर जनवरी के पहले हफ्ते में शुरू होगा। हम इसी के साथ अहम ओलंपिक साइकिल के लिए अपनी तैयारियां शुरू करेंगी। इसमें ओलंपिक महिला हॉकी क्वॉलिफायर्स भी शामिल हैं।’
‘मुझे निजी तौर पर अभी एशियाई खेलों में फाइनल में जापान से हारकर स्वर्ण पदक न जीत पाने का मलाल है। एशियाई खेलों के फाइनल में जीत कर हम सीधे ही 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर लेते । हम जकार्ता एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी में सुनहरा तमगा जीतना चाहते थे, लेकिन इनमें हमें रजत पदक पर ही संतोष करना पड़ा।’
वह कहती हैं, ‘सच कहूं कुल मिलाकर 2018 हमारे लिए बढ़िया रहा। हमारी टीम ने इंग्लैंड में राष्ट्रमंडल खेलों में हराना और महिला हॉकी विश्व कप में लंदन में एक-एक की बराबरी पर रोका। गोल्ड कोस्ट में राष्ट्रमंडल खेलों में हमारी महिला टीम मेजबान ऑस्ट्रेलिया से 0-1 से सेमीफाइनल में बेहद करीबी मैच में 0-1 से हारी जरूर, लेकिन इसने हमारी टीम को बेहद आत्मविश्वास दिया।’
‘इससे हमारी महिला हॉकी टीम में यह विश्वास पैदा हुआ कि वह बड़े टूर्नामेंटों में दुनिया की शीर्ष टीमों को कड़ी टक्कर दे सकती है। अब हमें हमारी प्रतिद्वंद्वी टीमें कमतर कतई नहीं आंकती हैं और 2018 की हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यही है।’
रानी रामपाल कही हैं, ‘हमारी महिला हॉकी टीम ने लंदन में विश्व कप में चार दशक में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाने के साथ एफआईएच रैंकिंग में अपनी सर्वश्रेष्ठ नौंवी रैंकिंग हासिल की। हमारी टीम में आने वाले टूर्नामेंटों में अपना प्रदर्शन और बेहतर करने का दम है। हमारे लिए यह खासे उत्साह की बात है कि हमारी अंडर-18 महिला हॉकी टीम ने यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीता।’
‘कोर ग्रुप में नई प्रतिभाओं के आने से अब सीनियर खिलाड़ी भी टीम में अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए निजी तौर पर अपने प्रदर्शन को और बेहतर करना चाहेंगी। अब कोर ग्रुप की खिलाड़ियों के बीच स्वस्थ प्रतिद्वंद्विता है ही सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों का भी मिलाजुला बड़ा पूल है। हम बतौर टीम ऐसा ही बेहतर प्रदर्शन करते रहे तो फिर हमारे पर एफआईएच रैंकिंग में छलांग लगाकर और उपर पहुंचने का मौका है।’
‘ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन टर्नर जैसे धुरंधर स्ट्राइकर के साथ बेंगलुरू में विशेष शिविर हमारी टीम को बहुत लाभ हुआ। ग्लेन टर्नर ने इसी महीने के शुरू में खासतौर पर स्ट्राइकरों को ट्रेनिंग दी। उन्होंने हम सभी खिलाड़ियों का खेल देखने के बाद कुछ खास गुर बताए।’
‘हालांकि, उन्होंने हमारी शैली में बहुत बड़े बदलाव नहीं किए, लेकिन उन्होंने हम फॉरवर्ड को डी में सही वक्त पर सही जगह रहने को कहा जबकि अतीत में हमारी दिक्कत यही रही है। इसी के चलते हम फॉरवर्ड डी में पहुंच कर गोल करने के मौके चूकती रही हैं। अब हम जनवरी मे राष्ट्रीय शिविर में यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगी कि हमने ग्लेन टर्नर से जो गुर सीखे हैं उन्हें अमली जामा पहनाएं।’