केजरीवाल सरकार द्वारा हाल ही में टेलीविजन चैनलों पर दिए गए ऐड को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ‘उल्लंघन’ करार देते हुए बीजेपी ने धमकी दी है कि अगर इसे तुरंत नहीं हटाया गया तो वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव आर. पी. सिंह ने शनिवार को एक बयान में कहा, “हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चेहरा नहीं दिखाया जा रहा रहा है, लेकिन बार-बार उनका नाम लेकर उन्हें ‘गरीबों का मसीहा’ बताया जा रहा है। जबकि अन्य दलों के नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और मीडिया को खलनायक की तरह पेश किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि ‘आप’ का यह ऐड सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
ऐड के लिए पैसा है, तो सैलरी देने के लिए क्यों नहीं
वहीं, बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि नेशनल टीवी पर ‘आप’ सरकार का ऐड झूठ से भरा है। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के पास सफाई कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसा नहीं है, लेकिन असंवैधानिक तरीके से अपने प्रचार के लिए पैसा खर्च कर रहे हैं।” आम आदमी पार्टी की सरकार ने हाल में टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापन देकर बताया है कि कैसे उसने दिल्ली में प्रशासन में सुधार किया है। इस ऐड में विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया गया है। बीजेपी इसी ऐड को लेकर भड़क गई है।
ऐड को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट पिछले महीने एक फैसले में कहा, ”सरकारी विज्ञापनों में मुख्‍यमंत्री, मंत्री, गवर्नर समेत किसी नेता की तस्वीर नहीं लगा सकते। सरकारी विज्ञापनों पर केवल प्रधानमंत्री, राष्‍ट्रपति और सीजेआई की तस्‍वीर लग सकती है। विज्ञापनों में इन तीनों की तस्‍वीर तभी लगाई जा सकती है, जब वे खुद इसकी जवाबदेही लेंगे।” कोर्ट ने यह भी कहा कि विज्ञापनों में तस्वीर लगाने से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजीआई की मंजूरी लेनी होगी। गाइडलाइंस को अमल में लाने के लिए केंद्र को कमेटी बनाने के लिए भी कहा गया है।
पुराने साथियों को भी एतराज, भूषण ने कहा- ‘जय हो केजरीवाल’ 
दिल्ली सरकार के विज्ञापन के खिलाफ बीजेपी के साथ ही केजरीवाल के पुराने सहयोगियों ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आप छोड़कर स्वराज अभियान चलाने वाले केजरीवाल के पुराने सहयोगियों ने इसे आप के अंदर मौजूद ‘व्यक्ति केंद्रित आत्मप्रचार’ का ताजा उदाहरण करार दिया है। इस विज्ञापन पर किए गए खर्च को सार्वजनिक करने की मांग की गई है। प्रशांत भूषण ने तो इस विज्ञापन को बाकायदा ‘जय हो केजरीवाल’ की संज्ञा देते हुए इसे महज एक व्यक्ति या नेता को प्रोजेक्ट करने के लिए फंड के गलत इस्तेमाल का उदाहरण करार दिया है। उन्होेंने इसे सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों की अवहेलना करने वाला भी बताया। साथ ही, उन्होंने इस विज्ञापन को महिला विरोधी भी करार दिया। प्रशांत भूषण के मुताबिक, यह टीवी ऐड महिलाओं को पुरुषों के नौकर के तौर पर पेश करता है।