देश में प्याज की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। लोग 80-90 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीदने को मजबूर हैं। इसी बीच सरकार ने हर किस्म के प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्याज की बढ़ती कीमतों के बीच घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, ‘सभी किस्म के प्याज पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।’

डीजीएफटी आयात और निर्यात से संबंधित मुद्दों को देखता है। इससे पहले 13 सितंबर को डीजीएफटी ने प्याज के निर्यात पर अंकुश के लिए 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) तय किया था। इस कदम का उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज कीमतों पर अंकुश लगाना था।

दिल्ली और देश के कुछ अन्य हिस्सों में प्याज का खुदरा दाम 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है। महाराष्ट्र जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में बाढ़ की वजह से इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस बीच, उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक से 50,000 टन प्याज निकाल रही है।

24 सितंबर को केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि सरकार प्याज की कीमतों में कमी लाने की पूरी कोशिश कर रही है। फिलहाल इसका 50 हजार टन का बफर स्टॉक मौजूद है, जिससे मंडियों में आवक को बढ़ाया जा रहा है। देश के कई शहरों में प्याज का फुटकर भाव 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। ऐसे में केंद्र सरकार प्याज व्यापारियों के भंडारण की सीमा तय करने पर विचार कर रही है।

वहीं 25 सितंबर को जारी किए उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे शहरों में खुदरा प्याज की कीमत 60 रुपये किलो थी। मुंबई में यह 58 रुपये किलो और चेन्नई में 42 रुपये किलो बेचा जा रहा था। कानपुर में, प्याज की कीमत 70 रुपये किलो और पोर्ट ब्लेयर में 80 रुपये किलो थी