आखिर पुत्र हठ के आगे पिता को झुकना पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण दत्त तिवारी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया है कि रोहित शेखर उनके बेटे हैं और उनके साथ उनका खून का संबंध है। तिवारी की इस स्वीकारोक्ति पर रोहित शेखर और उनकी मां डॉ. उज्ज्वला शर्मा ने भी संतोष जताया है। अदालत ने तिवारी से मध्यस्थता के जरिये विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने को कहा था।

कई सालों तक चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद 89 वर्षीय तिवारी ने रविवार की देर रात एक बजे एक टीवी चैनल के सामने रोहित का पिता होना स्वीकारा। चैनल पर एलान के बाद रोहित और उज्ज्वला के साथ तिवारी ने प्रेसवार्ता कर दोहराया कि रोहित उनका बेटा है। यह पूछे जाने पर कि क्या रोहित आपका उत्तराधिकारी भी है, तिवारी ने कुछ देर सोचने के बाद तीन बार हां कह कर पुष्टि की। इस दौरान रोहित शेखर ने एनडी के पैर छुए और सिर झुकाकर प्रणाम किया। एनडी ने भी रोहित के गाल पर हाथ फेरा और कहा कि वह चाहते हैं कि रोहित उनके साथ रहे। वहीं रोहित का कहना था कि वह नौ साल बाद पापा से मिले हैं। अगर वह (तिवारी) ईमानदारी से उन्हें और उनकी मां को सम्मान देते हैं तो उनकी तरफ से सारा विवाद खत्म है। साथ ही रोहित ने दोहराया कि वैसे भी 21 अप्रैल को उन्हें केस जीतना था।

डॉ. उज्ज्वला ने बताया कि वह और रोहित रविवार को उत्तराखंड सदन में एनडी तिवारी से मिले थे, तभी उन्होंने रोहित को अपनाना स्वीकार कर लिया था। बकौल उज्ज्वला, तिवारी एम्स में अपने स्वास्थ्य की जांच के सिलसिले में दिल्ली आए हुए हैं। मुलाकात के दौरान उन्होंने विवाद से तंग आने की बात कही और रोहित से मिलने की इच्छा जताई। इसके बाद रात लगभग 11.30 बजे रोहित ने तिवारी से मुलाकात की। तिवारी ने रोहित को गले लगा लिया और काफी देर तक बात करते रहे।

छह साल पुराना है विवाद

रोहित का एनडी तिवारी के साथ पितृत्व संबंधी विवाद 2008 से चल रहा था। शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा ने मध्यस्थता के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनका विवाद प्रॉपर्टी से संबंधित नहीं है, बल्कि केवल इतना है कि एनडी तिवारी मान लें कि रोहित उनका बेटा है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के दखल के बाद हुए डीएनए टेस्ट में साबित हो गया था कि तिवारी ही रोहित के पिता हैं। लेकिन इसके बावजूद तिवारी के अड़ियल रुख के चलते मामला सुलट नहीं सका था।

तिवारी की राजनीतिक विरासत भी संभाल सकते हैं रोहित

 रोहित शेखर बतौर पुत्र क्या बुजुर्ग नेता एनडी तिवारी की राजनीतिक विरासत भी संभालेंगे, सियासी फिजा में अब यह सवाल तैर रहा है। लंबी जद्दोजहद के बाद एनडी ने आखिरकार रोहित को सार्वजनिक रूप से अपना पुत्र स्वीकार कर लिया, इस बदले हुए घटनाक्रम के बाद उनकी राजनीतिक विरासत भी रोहित के खाते में जाना तय है। इससे एनडी की विरासत के दावेदार समझे जा रहे उनके परिजनों के साथ ही कांग्रेस में भी बेचैनी महसूस की जा रही है। वहीं इस मामले ने सूबे की सियासत में भी गरमी ला दी है। तिवारी अब बुधवार के बजाय हफ्तेभर बाद नैनीताल संसदीय क्षेत्र का दौरा करेंगे।

दरअसल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में एनडी तिवारी ने जो मुकाम हासिल किया, उसे देखते हुए उनकी राजनीतिक विरासत पाने की कोशिश कई स्तरों पर की जाती रही है। यह अलग बात है कि खुद एनडी की ओर से अपनी विरासत किसी को सौंपने के संकेत पहले कभी नहीं दिए गए। दो प्रदेशों के मुख्यमंत्री के साथ ही केंद्र सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे तिवारी की राजनीति पर मजबूत पकड़ ही है कि आंध्र प्रदेश राजभवन प्रकरण के बावजूद उनके सियासी वजन को नजरअंदाज नहीं किया जा सका। उत्तर प्रदेश की मौजूदा समाजवादी पार्टी सरकार एनडी को लेकर पलक पांवड़े बिछाए है। दिल्ली में पत्रकारों से एनडी ने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि रोहित उनकी परंपरा को आगे बढ़ाएं और विकास पुरुष बनें। उनके इस कथन के राजनीतिक निहितार्थ तलाश किए जाने लगे हैं। चर्चा है कि नैनीताल संसदीय सीट पर एनडी की विरासत का दावा रोहित शेखर की ओर से किया जा सकता है।

परिजन बोले, बना रहेगा सम्मान

नैनीताल। एनडी तिवारी द्वारा रोहित शेखर को अपना पुत्र स्वीकार करने पर जहां देश भर में चर्चाओं का बाजार गर्म है, वहीं उनके परिजन पूरे विवाद से उन्हें अलग रखते हैं। उनके परिजन आज भी विकासखंड धारी के पदमपुरी के ग्राम अक्सोड़ा में काश्तकारी करते हैं। उनका कहना है कि तिवारी ने संभवत: कोर्ट-कचहरी के चक्करों से बचने के लिए शेखर को पुत्र स्वीकारा है। उनके चचेरे भाई दुर्गादत्त तिवारी कहते हैं कि विकास पुरुष एनडी तिवारी ने हमेशा विकास की बात की है। उनका क्षेत्र में पूर्ववत ही स्वागत किया जाएगा।

गांव में कोई संपत्ति नहीं

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में पांच बार मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी के पास पैतृक गांव अक्सोड़ा में कोई संपत्ति नहीं है। परिजनों के मुताबिक तिवारी के पिता स्व. पूर्णानंद तिवारी ने एनडी के छोटे भाई रमेश तिवारी के नाम वसीयत की थी।

*****

”मैंने स्वीकार कर लिया है कि रोहित शेखर मेरा बेटा है। डीएनए रिपोर्ट ने भी यह साबित किया है कि वह मेरा जैविक बेटा है।” -एनडी तिवारी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता

”मैंने उनसे सिर्फ इतना कहा है कि अगर वह मुझे बेटा मानते हैं तो खुले मन से मानें।” -रोहित शेखर, एनडी के पुत्र