हेग.नीदरलैंड्स स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) कुलभूषण जाधव (46) केस में गुरुवार दोपहर को फैसला सुनाएगा। इस मामले में 15 मई को सुनवाई हुई थी। भारत और पाकिस्तान ने अपनी दलीलें पेश की थींं। भारत ने कहा था कि पाक ने जाधव तक डिप्लोमैटिक पहुंच न देकर वियना संधि का वॉयलेशन किया है। वहीं, पाक ने इसे नेशनल सिक्युरिटी का मुद्दा बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए थे। बता दें कि पिछले महीने पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने इंडियन नेवी के पूर्व अफसर जाधव को जासूसी के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। इसी के खिलाफ भारत ने अपील की। 18 साल बाद दोनों देश इंटरनेशनल कोर्ट में आमने-सामने हैं। फैसले में ये तीन बातें हो सकती हैं…
 
1. आईसीजे भारत की अपील मंजूर करे और फांसी पर रोक लगा दे
ऐसा हुआ तो: पाक को जाधव की फांसी की सजा रोकनी होगी। भारतीय वकीलों को जाधव से मिलने देना होगा। डिप्लोमैट भी मिल पाएंगे। दोबारा निष्पक्ष सुनवाई करनी होगी। लेकिन पाकिस्तान यह फैसला मानने के लिए बाध्य नहीं है।
2. आईसीजे पाक की दलीलें मान ले, भारत की अपील खारिज कर दे
ऐसा हुआ तो: भारतीय वकीलों को जाधव तक पहुंचने दे या नहीं, उसकी मर्जी। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अगस्त के बाद जाधव को फांसी दे सकेगा।
3. आईसीजे 18 साल पुराना रुख दोहराए, दोनों को बात करने के लिए कहे
ऐसा हुआ तो: कुछ समय तक फांसी रुक सकती है। भारत बातचीत के लिए मजबूर होगा। दोनों देशों को शिमला समझौते, लाहौर घोषणापत्र और कैदियों को लेकर 2008 में हुई संधि के प्रोविजन्स के तहत बात करनी होगी।
कहते हैं एक्सपर्ट्स?
विदेश मामलों के जानकार राजीव डोगरा, जी पार्थसारथी, पूर्व राजदूत, अनिल त्रिगुनायत और पूर्व विदेश सचिव केसी सिंह का मानना है कि फांसी रुके या न रुके, भारत-पाक के बीच तनाव जरूर बढ़ेगा।
– जाधव की फांसी पर इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला भले ही किसी देश के पक्ष में आए, वह दोनों के बीच मौजूदा तनाव को कम करने के बजाय और बढ़ाएगा।
– विदेश मामलों के एक्सपर्ट्स का मत है कि पाक की दलीलों में कई झोल हैं। एेसे में, फैसला भारत के पक्ष में आने की संभावना ज्यादा है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत संयुक्त राष्ट्र जा सकता है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके बाद भारत के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा।
11 जजों की बेंच नेे की थी सुनवाई
– सबसे पहले 11 जजों की बेंच को लीड कर रहे जस्टिस अब्राहम ने भारत और पाक की उनकी अर्जियां पढ़कर सुनाई थीं। दोनों पक्षों को दलीलें रखने के लिए 90-90 मिनट का वक्त दिया गया था।
– भारत की तरफ से दलीलें पेश करने के लिए एडवोकेट हरीश साल्वे चार लोगों की टीम के साथ मौजूद थे। इनमें फाॅरेन मिनिस्ट्री में ज्वाइंट सेक्रेटरी (पाक-अफगान-ईरान) दीपक मित्तल, ज्वाइंट सेक्रेटरी वीडी. शर्मा, काजल भट्ट (नीदरलैंड्स में इंडियन एम्बेसी की फर्स्ट सेक्रेटरी) और चेतना एन. रॉय (जूनियर काउंसिल) शामिल थे।
ह्यूमन राइट्स को हवा में उड़ा देता है PAK
– हरीश साल्वे ने कहा- “हमें आशंका है कि पूरी सुनवाई होने या फैसला आने से पहले ही पाक जाधव को फांसी पर न चढ़ा दे। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में गलत मैसेज जाएगा। दुनियाभर में ऐसे मामलों में ह्यूमन राइट्स बेसिक प्रैक्टिस माने जाते हैं, पाक इन्हीं को हवा में उड़ा देता है।”
पाक ने वीडियो दिखाने की कोशिश की
– पाकिस्तान ने जाधव को जासूस बताने के लिए उनके कबूलनामे का वीडियो दिखाने की कोशिश की। लेकिन इंटरनेशनल कोर्ट ने पाकिस्तान के वकीलों को ऐसा करने से मना कर दिया। पाकिस्तान यह जोर देता रहा कि जिस वियना संधि का हवाला देते हुए भारत जाधव की फांसी रोकने की मांग कर रहा है, वह संधि जासूसों के मामलों में लागू नहीं होती। जाधव जासूस है, यह उसके वीडियो से साबित होता है।
– बता दें कि पाकिस्तान वही वीडियो दिखाने पर जोर दे रहा था, जिसमें प्रोफेशनल इंटेरोगेशन नहीं हुआ था। ऐसा लगता था कि इसे अलग-अलग एंगल से कैमरे और लाइटिंग अरेंजमेंट कर प्लानिंग के तहत शूट किया गया। वीडियो किसी इंटरव्यू की तरह लग रहा था। शायद इसे पाकिस्तान के किसी जर्नलिस्ट और कैमरामैन ने आईएसआई के सेफ हाउस में शूट किया था।
क्या है मामला?
– पाक की मिलिट्री कोर्ट ने जाधव को जासूसी और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था। इंडियन नेवी से रिटायरमेंट के बाद वे ईरान में बिजनेस कर रहे थे।
– हालांकि, पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को बलूचिस्तान से 3 मार्च 2016 को अरेस्ट किया गया था। पाकिस्तान ने जाधव पर बलूचिस्तान में अशांति फैलाने और जासूसी का आरोप लगाया है।
– इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने 8 मई को पिटीशन दायर की थी। भारत ने यह मांग की थी कि भारत के पक्ष की मेरिट जांचने से पहले जाधव की फांसी पर रोक लगाई जाए।
18 साल पहले भारत-पाक इंटरनेशनल कोर्ट में थे आमने-सामने
– 10 अगस्त 1999 को इंडियन एयरफोर्स ने गुजरात के कच्छ में पाकिस्तान नेवी के एक एयरक्राफ्ट एटलांटिक को मार गिराया था। इसमें सवार सभी 16 सैनिकों की मौत हो गई थी।
– पाकिस्तान का दावा था कि एयरक्राफ्ट को उसके एयरस्पेस में मार गिराया गया। उसने इस मामले में भारत से 6 करोड़ डाॅलर मुआवजा मांगा था। ICJ की 16 जजों की बेंच ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया।