जन्मदिन पर गांधी को 125 करोड़ का तोहफा
दो अक्टूबर महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री का जन्मदिन मनाया जाता है। पिछले साल देशवाशियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगुवाई में गांधीजी को उनके 150वीं वर्षगांठ (2019 तक) पर एक तोहफा (स्वच्छ भारत) देने का मन बनाया या यों कहें कि हमने संकल्प लिया। यह संकल्प हम जाया नहीं जाने देंगे। बापू को दिए गए इस वादे को पूरा करने के लिए हम सभी को एक ईमानदार प्रयास करने होंगे।
यह हम भारतवासियों का कर्तव्य भी बनता है कि जिस गांधी ने देश की आजादी के लिए अपना बहुमूल्य जीवन समर्पित कर दिया था तो उनको और उनके ‘सपनों का भारत’ के लिए हम अपने समय का एक छोटा सा हिस्सा निकालें। इस ‘स्वच्छ भारत आभियान’ से न सिर्फ हम बापू को एक तोहफा दे सकते हैं बल्कि हम अपने लिए भी एक साफ-सुथरे भारत की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। अच्छी हवा में सांस ले सकते हैं, तमाम तरह की बीमारियों से बच सकते हैं। कहते भी हैं कि स्वच्छ तन में ही स्वच्छ मन का बास होता है। यदि हम अपने परिवेश को ही स्वच्छ नहीं रखेंगे तो अपने तन को कैसे स्वस्थ रख पाएंगे।
इस ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को पूरा करने के लिए सरकार तो प्रयास कर ही रही है, हम आमजन जब तक सक्रिय रूप इस अभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित नहीं करेंगे तब तक यह संभव नहीं हो सकता। इसके लिए हमें अपने-आप से वादे करने होंगे कि न तो हम खुद खुले में कूड़ा-कचड़ा फैलाएंगे बल्कि इस नेक काम के लिए दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। इस अभियान को पूरा करने के लिए सरकारी स्तर पर जितने भी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं उसके अलावा दो-तीन और काम करने की जरूरत है–
पहला, तमाम जागरूकता के बावजूद जो लोग इस ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को अमल में नहीं ला रहे हो उसके लिए आर्थिक दंड और जेल की सजा का प्रावधान हो। इससे स्वच्छता के प्रति लापरवाह रहने वालों के अंदर भी डर पैदा हो सकेगा।
दूसरा, अफसरों को स्वच्छता अभियान का पूर्ण प्रशिक्षण देकर उन्हें पूरी तरह से जिम्मेदारी सौंपी जाए और अगर वे अपने जिम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभाते हैं तो ऐसे अफसरों के लिए आर्थिक व अन्य दंड के भी प्रावधान की व्यवस्था की जानी चाहिए।
तीसरा, सरकार को जगह-जगह कूड़ादान (डस्टबीन) का प्रबंध करना चाहिए। इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए हैं। लोग डस्टबीन न होने की वजह से भी इधर-उधर कूड़ा फेंक देते हैं। साथ ही इस कूड़े को निपटाने (प्रबंधन) के लिए भी उचित और कारगर उपाय करने होंगे।
स्वच्छता के प्रति लापरवाह रहने का ही दुष्परिणाम है कि देश की राजधानी और मैट्रो सिटी कही जाने वाली दिल्ली में डेंगू जैसी बीमारी महामारी का रूप ले चुका है। यह केंद्र और राज्य सरकार के नाक में दम कर रखा है। इस धूल-भरी गंदगी से ही चर्मरोग, एलर्जी, दमा और हृदय संबंधी विभिन्न तरह की बीमारियों का जन्म होता है।
बहरहाल, हम सभी को गांधीजी के लिए न सही, हम अपने और अपनी आगामी पीढ़ी के लिए लिए भारत को स्वच्छ करना ही होगा। अगर देश का हर शख्स यह तय कर ले कि हमें साफ-सुथरी हवा में सांस लेना है, हमारे बच्चे गंदगी और प्रदूषण से मुक्त वातावरण में सांस लें तो 125 करोड़ देशवासियों की तरफ से गांधी के लिए बड़ा तोहफा और कुछ नहीं हो सकता है।




