उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे – फोटो : पीटीआई

सार

  • शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के कई विधायक नाराज
  • दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

विस्तार

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार के सोमवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कई विधायक नाराज हैं। ये मंत्री पद की उम्मीदें लगाए थे। कई वरिष्ठ विधायक उद्धव के पहली बार विधायक बने बेटे आदित्य ठाकरे को मंत्री पद मिलने से नाराज हैं। उल्लेखनीय है कि सोमवार को कांग्रेस के 10, शिवसेना से 12 और एनसीपी से 14 मंत्रियों ने शपथ ली थी।

मंत्रिमंडल विस्तार में प्रमुख शिवसेना नेता और महाविकास आघाड़ी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले संजय राउत अपने भाई सुनील राउत को मंत्री पद न मिलने से नाराज हैं। दोनों भाई शपथग्रहण समारोह में नहीं गए। वहीं कोल्हापुर जिले से विधायक प्रकाश आबिटकर रविवार रात मंत्रियों की सूची में अपना नाम आने पर घर से रवाना हुए लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिला।

शिवसेना के वरिष्ठ विधायक प्रताप सारनिक, सुनील प्रभु, रवींद्र वायकर, रामदास कदम और भास्कर जाधव भी मंत्री पद न मिलने की नाराजगी में शपथग्रहण समारोह से दूर रहे। उधर, शरद पवार के करीबी एनसीपी के बीड़ जिले के माडलगाव से लगातार चार बार विधायक प्रकाश सोलंके का इस्तीफा सामने आया।

हालांकि उन्होंने कहा कि इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर नहीं देखें। उन्होंने राजनीति से ही संन्यास लेने के संकेत दिए। कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाले पीडब्ल्यूपी, बहुजन विकास आघाड़ी और स्वाभिमान शेतकरी संगठन भी महाविकास आघाड़ी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से नाराज हैं।

कांग्रेस में गुटबाजी
मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस की गुटबाजी भी सामने आ गई है। वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार शाम ही मल्लिकार्जुन खरगे से मिलकर खुद को नजरअंदाज किए जाने की शिकायत की। इनमें पृथ्वीराज चव्हाण, प्रणीति शिंदे, नसीम खान, संग्राम थोपटे, अमीन पटेल और रोहिदास पाटिल शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार इन नेताओं का आरोप है कि खरगे ने कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को गुमराह किया। नाराज नेता दिल्ली जाकर सोनिया से मिलने की योजना बना रहे हैं।

विधायकों की नाराजगी इसलिए भी है कि राज्य विधानसभा की 288 संख्या में कुल 43 मंत्री ही हो सकते हैं। उद्धव मंत्रिमंडल में यह संख्या पूरी हो गई है। ऐसे में जल्द ही किसी नए को मौका मिलने के आसार नहीं हैं। अब तभी किसी नए विधायक को मौका मिलेगा जब कोई मंत्री इस्तीफा दे। मंत्रिमंडल में परिवारवाद भी खूब चला। 19 मंत्री राजनीति परिवारों से हैं।