उच्च न्यायालय ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को दी मंजूरी
बता दें कि गर्ग ने अपनी याचिका में शर्मा की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की थी क्योंकि यह गैरकानूनी था। इससे पहले एकल न्यायाधीश की पीठ ने गर्ग की रिट याचिका को खारिज कर दिया था।
खंडपीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत, विश्वविद्यालय के मामलों से निपटने में कुलपति के वर्चस्व पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कुलपति ने नामों के दावेदारों (पद के लिए दावेदारों) को आगे करके राज्य सरकार से सलाह ली।
पीठ ने कहा कि सरकार ने कुलपति द्वारा भेजे गए नामों के संबंध में कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसके बाद चांसलर ने सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को कुलपति नियुक्त किया है। गर्ग ने केवल 13 मार्च को एक आदेश जारी करके और सरकार से सलाह के बिना शर्मा को इस पद के लिए नियुक्त किया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि शर्मा की नियुक्ति मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के अनुसार नहीं थी।