फॉरवर्ड डिफेंस लोकेशन और वहां बनी भारतीय सेना की अग्रिम चौकियां
नई दिल्ली/जम्मू : एलओसी पर पाकिस्तान से चल रही तनातनी और आतंकियों की घुसपैठ के बीच एबीपी न्यूज पहुंचा है अखनूर सेक्टर में. बेहद संवेदनशील इस सीमा पर हमारे सैनिक रातदिन, गर्मी-बरसात और कड़कड़ाती ठंड में हमारे देश की रखवाली करते हैं. एलओसी के इस इलाके में पहली बार कोई न्यूज चैनल अपने कैमरे के साथ पहुंचा है. क्योंकि, उसी से पता चलेगा कि कहां तैनात रहते हैं हमारे जाबांज सैनिक और कैसे और किन परिस्थितियों में करते हैं देश की सरहदों की रक्षा.
फॉरवर्ड डिफेंस लोकेशन और वहां बनी भारतीय सेना की अग्रिम चौकियां
आजतक आपने एलओसी फैंस यानि कटीली तार तो देखी होगी, लेकिन आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं एफडीएल यानि फॉरवर्ड डिफेंस लोकेशन और वहां बनी भारतीय सेना की अग्रिम चौकियां. एफडीएल वो इलाका है जो कटीली तार के आगे होता है और भारत का ही अहम हिस्सा होता है. पाकिस्तानी सेना की पोस्ट यहां से आंखों से दिखती हैं जहां से पाकिस्तानी सैनिक करते हैं युद्धविराम का उल्लंघन यानि फायरिंग.
पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम यानि बैट हमारे सैनिकों पर हमला करती है
एफडीएल के जंगलों में छिपकर ही पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम यानि बैट हमारे सैनिकों पर हमला करती है. लेकिन, हमारे सैनिक दुश्मन से मुकाबले के लिए यहां रोज तैयार रहते हैं ( बोर्ड पर लिखा रहता है ‘आज दुश्मन से मुकाबला होगा’). यहां तैनात भारतीय सेना की हरेक रेजीमेंट के ‘आर्दश-वाक्य’ कुछ ऐसा ही दर्शाते हैं. अखनूर की केरी पोस्ट पर तैनात राजरिफ का उद्देश्य है ‘हमारा मकसद है दुश्मन को मारना और एलओसी पर ना हो कोई उल्लंघन’
इस इलाके के घने जंगलों और नदी-नालियों से ही आतंकियों की घुसपैठ होती है
इस इलाके के घने जंगलों और नदी-नालियों से ही आतंकियों की घुसपैठ होती है. केरी पोस्ट के ठीक सामने वाले पाकिस्तानी इलाके में आतंकियों के लांचिंग-पैड हैं. अखनूर सेक्टर के दूसरी तरफ पाकिस्तान में बरनाला और पर्धा सेक्टर है. मिलेट्री इंटेलीजेंस यानि एमआई की रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान के इन इलाकों में ही आतंकियों के लांचिंग-पैड्स सक्रिय हैं. यहां के घने जंगलों और नदी-नालों से आंतकी घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं
सड़क बनाने का काम करने वाली ग्रिफ यूनिट पर हमला कर मजदूरों को मार दिया था
कुछ महीने पहले ही आतंकियों ने एक नदी के जरिए घुसपैठ की और सेना के लिए सड़क बनाने का काम करने वाली ग्रिफ यूनिट पर हमला कर मजदूरों को मार दिया था. यहीं वजह है कि यहां पर चौकसी बेहद जरूरी है. जम्मू से केरी पोस्ट तक का करीब 100 किलोमीटर का रास्ता बेहद दुर्गम है. रास्ते में जंगल, पहाड़ी और नदी-नाले मिलते हैं. लेकिन सैनिकों की इस क्षेत्र में आवाजाही सुगम हो सके उसके लिए एलओसी की आखिरी चौकी तक बीआरओ ने बेहतरीन सड़क बनाई हुई है.
घने जंगलों के बीच बनी हैं सेना की चौकियां, बंकर, मोर्चे और कम्युनिकेशन टॉवर
रास्ते में सरहद पर बने ईका-दुक्का गांव भी दिखाई पड़ते हैं. लेकिन जैसे जैसे एबीपी न्यूज एलओसी के करीब पहुंचा, ये गांव दिखने बंद हो गए. दिखने लगा तो सिर्फ मिलेट्री एरिया या फौजी इलाका. उंची उंची पहाडियों और घने जंगलों के बीच बनी हैं सेना की चौकियां, बंकर, मोर्चे और कम्युनिकेशन टॉवर. चौकियों पर सैनिकों को उत्साहित और जेहन में देश के लिए कुछ कर गुजरने के वाक्य लिखे हैं (जैसे ‘It is glory to die doing one’s duty’).
टेकरी पोस्ट होते हुए एबीपी न्यूज केरी पोस्ट पहुंचा तो देखा कि हल्की हल्की बारिश हो रही है
नंगा-टेकरी पोस्ट होते हुए एबीपी न्यूज केरी पोस्ट पहुंचा तो देखा कि हल्की हल्की बारिश हो रही है. ये पोस्ट पहाड़ों के बीच बनी थी. एबीपी न्यूज जब वहां पहुंचा तो सैनिकों का एक गश्ती-दल एलओसी पर पैट्रोलिंग के लिए निकल रहा था. सूबेदार जरूरी हिदायतों के साथ उन्हें बता रहा था कि पैट्रोलिंग के दौरान क्या क्या सावधानी बरतनी है. चौकी पर तैनात सेना के अधिकारियों ने बताया कि लेफ्टिनेंट उमेर फय्याज इसी दल का हिस्सा थे.
गश्ती-दल रोजाना की भांति एफडीएल यानि फॉरवर्ड डिफेंस लोकेशन पर जा रहा था
अपने साथियों के साथ वे भी पैट्रोलिंग पर जाते थे. गश्ती-दल रोजाना की भांति एफडीएल यानि फॉरवर्ड डिफेंस लोकेशन पर जा रहा था. यहां पर हमेशा आतंकियों की घुसपैठ और पाकिस्तान की कायर बॉर्डर एक्शन टीन यानि बैट के जवान छिपकर हमला करते हैं. इसलिए एबीपी न्यूज भी उस गश्ती दल का हिस्सा बन गया. कुछ दूर तक सैनिकों के साथ बैठकर हम पहुंच चुके थे एक ऐसे इलाके में जहां एलओसी फैंस के आगे घना जंगल और घाटी है.
पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम यानि बैट के आतंकी भारत की सीमा मे घुस आते हैं
इन्ही इलाकों में पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम यानि बैट के आतंकी भारत की सीमा मे घुस आते हैं. इसीलिए यहां पैट्रोलिंग बेहद जरूरी है. गश्ती दल के जवानों ने बताया कि ये उनका सौभाग्य है कि वे यहां आकर देश की रक्षा कर रहे हैं. उन्हें सेना में ऐसी कड़ी ट्रैनिंग मिलती है कि वे जंगल-पहाड़ इत़्यादि में ड्यूटी करते हुए खास परेशानी नहीं होती. सैनिकों ने बताया कि पाकिस्तान इस इलाके में जब भी युद्धविराम का उल्लंघन करता है तो उसे मुंह की खानी पड़ती है.
पाकिस्तान की तरफ से दो गोले हमारे इलाके में दागे जाते हैं तो हमारी तरफ से पांच
अगर पाकिस्तान की तरफ से दो गोले हमारे इलाके में दागे जाते हैं तो हमारी तरफ से पांच गोले यानि दोगुने से भी ज्याद बमों की बरसात की जाती है. यही वजह है कि पाकिस्तान चोरी-छिपे इन इलाकों में आतंकियों की घुसपैठ करता है. इन घुसपैठ को रोकने के लिए ही एफडीएल यानि फॉरवर्ड डिफेंस लोकेशन पर खास ‘अग्रिम चौकियां’ बनी हैं. अखनूर सेक्टर में 1971 के युद्ध में भारत को पाकिस्तान के हाथों भारी नुकसान उठाना पड़ा था. वो बात और है कि 71 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी.
यही वजह है कि अखनूर सेक्टर सामरिक-दृष्टि से बेहद संवदेनशील इलाका है
यही वजह है कि अखनूर सेक्टर सामरिक-दृष्टि से बेहद संवदेनशील इलाका है. यहां पर पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर रखना बेहद जरूरी है. इसीलिए हमारे जवानों की पैनी निगाहें हमेशा पाकिस्तान की तरफ गड़ी रहती हैं. अग्रिम चौकियां एलओसी फैन्स के आगे यानि एफडीएल इलाके में होती हैं. इसके सामने हमें दिखी पाकिस्तान की एक ऐसी पोस्ट जैसी हाल ही में एक वीडियो में दिखाई पड़ी थी. जिसे भारतीय सैनिकों ने एटीजीएम यानि एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल और तोपे के गोलों से उड़ा दिया था.
सख्त ड्यूटी के बावजूद यहां तैनात सैनिकों के हौसले बुलंद रहते हैं
लेकिन, वहां मौजूद अधिकारियों ने बताया कि ये वो पोस्ट नहीं है. हां इन इलाकों में अमूमन ऐसी ही चौकियों होती हैं. घंटो-घंटो तक इस बंकर में सख्त ड्यूटी के बावजूद यहां तैनात सैनिकों के हौसले बुलंद रहते हैं और दुश्मन को पलक झपकते ही मार गिराने में नहीं हिचकते हैं. चौकियों पर खास तरह को बंकर बने होते हैं जहां पर पाकिस्तान की तरफ से होने वाली गोलाबारी के दौरान सैनिक अपने आप को सुरक्षित बचा लेते हैं और वहीं से पाकिस्तानी सैनिकों पर जबरदस्त फायरिंग करते हैं.
गाईडेड मिसाइलों से हमला बोलते हैं जैसा कि कुछ दिन पहले एक वीडियों में दिखा था
ठीक वैसे ही अपनी एटीजीअम यानि एंटी टैंक गाईडेड मिसाइलों से हमला बोलते हैं जैसा कि कुछ दिन पहले एक वीडियों में दिखा था. केरी पोस्ट के पास ही एलओसी पर हमें दिखाई दी वो दीवार जिसे हाल ही में खड़ा किया गया है. दरअसल, यहां सड़क बनने के बाद सेना की गाड़ियों की आवाजाही और काफिले गुजरते रहते हैं. लेकिन ये सड़क सीधे पाकिस्तानी सेना की फायरिंग रेंज में आ रही थी, इसलिए भारतीय सेना ने अपने उन इलाकों में दीवार खड़ी कर दी है जहां जहां ये सड़क पाकिस्तान की फायरिंग रेंज में आ रही थी.
वो फ्लड लाईट्स भी दिखाई पड़ी जो रात में पूरी 750 किलोमीटर लंबी एलओसी को जगमगा देती है
जो सड़क पाकिस्तानी सेना की डाईरेक्ट फायरिंग में आ रही थी वहां इस सड़क को खड़ा किया गया है. ठीक वैसे ही जैसाकि करगिल युद्ध के दौरान द्रास और करगिल सेक्टर में नेशनल हाईवे नंबर वन-ए पर तैयार कराई गई थी. यहीं पर हमें एक खास तरह की फैंस दिखाई पड़ी और वो फ्लड लाईट्स भी दिखाई पड़ी जो रात में पूरी 750 किलोमीटर लंबी एलओसी को जगमगा देती है और अंतरिक्ष से भी दिखाई पड़ती है.