टूट रहा साउथ की फिल्मों का जादू
सोनाक्षी सिन्हा की अकीरा के बॉक्स ऑफिस पर घाटे का सौदा बनने के साथ बॉलीवुड के खाते में साउथ की एक और रीमेक नाकाम साबित रही। पिछले कुछ समय से चर्चा थी कि क्या साउथ की रीमेक पहले की तरह फलदायी नहीं रह गई हैं? बात अब और आगे बढ़ गई है…
-बदलते दौर में बॉलीवुड के निर्देशकों को ओरीजनल आइडियों की तलाश है। रीमेक और सीक्वल हाल के वर्षों में खरे नहीं उतर पा रहे हैं। एक समय बड़े सितारों के साथ सफल मानी जाने वाली साउथ की ऐक्शन फिल्मों के रीमेक उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। 2015 में गब्बर इज बैक (तमिलः रमन्ना) और दृश्यम (मलयालमः दृश्यम) हिट थीं तो तेवर (तेलुगुः ओकाडु) बड़ी फ्लॉप थी। 2013 में संजय दत्त की पुलिसगिरी और 2014 में अजय देवगन की ऐक्शन जैक्शन तथा शाहिद कपूर की आर…राजकुमार फ्लॉप थीं। बीते शुक्रवार को सोनाक्षी सिन्हा की अकीरा ने बॉलीवुड को झटका दिया है। इसके बाद मंथन हो रहा है कि क्या साउथ की फिल्मों की बैसाखी से आगे बढ़ना ठीक होगा या मौलिक आइडियों पर दांव लगाना बेहतर रहेगा।
इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार आज दर्शक हर तरह का सिनेमा देखने को तैयार हैं बशर्ते वह नया हो। ऐसे में निर्माता-निर्देशकों के लिए जरूरी हो जाता है कि वह अलग तरह की कहानियां और स्क्रिप्ट्स ढूंढें। जैसे से इस साल एयरलिफ्ट और नीरजा की थीं। दर्शकों को जानी-पहचानी कहानी भी ऐसी चाहिए, जिसमें उन्हें नया रोमांच मिले। सरबजीत जैसी फिल्म उन्हें नहीं चाहिए। इन दिनों एक कामयाब हीरो को लेकर फिल्म बना रहे एक प्रतिष्ठित निर्देशक नाम उजागर न करने की शर्त पर कहते हैं कि मैंने न कभी साउथ की रीमेक बनाई है और न बनाऊंगा। मुझे लगता है कि इंडस्ट्री में भेड़चाल है। दर्शक फिलहाल साउथ की फिल्मों को नकार रहे हैं और इसलिए नए आइडियों की तलाश हो रही है। वहीं एक ट्रेड विशेषज्ञ के अनुसार, ‘कहानी कहां से आती है इससे दर्शक को फर्क नहीं पड़ता। कंटेंट मजबूत होना चाहिए।’