मंदसौर। राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विद्यार्थियों से भारी-भरकम फीस वसूली जा रही है पर पेयजल भी शुद्घ नहीं पिलाया जा रहा है। पांच साल पहले खरीदे गए 6 वाटर फिल्टर स्टोर में अनुपयोगी पड़े हैं और प्राचार्य मानने को ही तैयार नहीं हैं। जबकि पूर्व प्राचार्य उन्हें खरीदकर 40 हजार रुपए का भुगतान करने का भी दावा कर रहे हैं। अब दोनों प्राचार्य आमने-सामने हो गए हैं। इधर महाविद्यालय परिसर में लगे 4 वाटर कूलर में से भी केवल एक ही चालू है। बाकी तीन तो बंद ही हैं। इस चक्कर में विद्यार्थियों को सीधे टंकियों का पानी पीना पड़ रहा है।

जिले के लीड कॉलेज राजीव गांधी शासकीय महाविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर पर सभी संकायों में 25 से अधिक कोर्स संचालित है। बीबीए, बीसीए जैसे व्यवसायिक पाठ्यक्रम भी चल रहे हैं। महाविद्यालय में 8500 से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। इनसे महाविद्यालय को प्रतिवर्ष डेढ़ से दो करोड़ रुपए की आय होती है। फिर भी विद्यार्थियों को शुद्घ पेयजल तक उपलब्ध नहीं हो रहा है। आठ जगह सिंटेक्स की टंकियों से सीधे नल को जोड़ रखा है। दो टंकियों को छोड़ शेष टंकियां बंद हैं। इन टंकियों से जुड़े तीन वाटर कूलर एक साल से बंद हैं। परिसर के बाहर लगी टंकी में पानी तो आता है लेकिन गंदगी के कारण विद्यार्थी पानी नहीं पी पाते हैं।

पांच सालों से अटाले

में रखे वाटर फिल्टर

सितंबर 2010 में प्राचार्य का प्रभार डॉ. सीएल खिंची के पास था, तब श्री खिंची ने छह वाटर फिल्टर खरीदे थे। 20 दिन बाद शासन ने महाविद्यालय का प्रभार प्रो. आरके सोहनी को सौंप दिया था। श्री सोहनी के कार्यकाल में इन सभी 6 वाटर फिल्टर का 40 हजार रुपए का भुगतान किया गया था। चार माह बाद ही डॉ. जीसी खिमेसरा को पिपलियामंडी के साथ राजीव गांधी महाविद्यालय का प्रभार भी मिल गया था। तब से वह वाटर फिल्टर महाविद्यालय के स्टोर रूम में ही सड़ रहे हैं।

जनकारी मांगी तो

भड़क गए प्राचार्य

सोमवार को इस संबंध में प्राचार्य डॉ. खिमेसरा से वाटर फिल्टर के संबंध में जानकारी मांगी तो वह भड़क गए। उन्होंने कहा कोई वाटर फिल्टर नहीं खरीदे हैं। स्टोर में वाटर फिल्टर नहीं होने की बात कहकर स्टोर रूम खोलकर दिखाने से भी मना कर दिया।

वाटर कूलर भी

हो रहे खराब

महाविद्यालय प्रबंधन ने तीन साल पहले 40-40 हजार में चार वाटर कूलर खरीदे थे। अभी केवल एक वाटर कूलर ही चालू है। दो वाटर कूलर महाविद्यालय परिसर में एक साल से बंद हैं। एक वाटर कूलर स्टोर में अटाले में रखा है।

अभाविप ने भी कई

बार उठाई समस्या

अभाविप विभाग संयोजक बंटी चौहान ने बताया कि गत वर्ष भी पेयजल समस्या को लेकर कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य को पानी के मटके भेंट किए थे। तीन-चार बार ज्ञापन भी सौंपे है। लेकिन प्राचार्य द्वारा अभी तक कोई समाधान नहीं किया गया है। जल्द ही समस्या समाधान नहीं किया तो आंदोलन किया जाएगा।

भटकना पड़ता है

पर्यटन की कक्षाएं खेल विभाग के पास आखिरी कोने में लगती हैं। उस तरफ पेयजल के लिए सुविधा नहीं है। महाविद्यालय के कार्यालय कक्ष के पीछे मैदान में दो टंकियां व एक वाटर कूलर लगा है सभी बंद हैं। ऐसे में पानी के लिए भटकना पड़ता है।

– आनंद सुराह, पर्यटन

शुद्घता का ध्यान नहीं

पूरे महाविद्यालय में केवल एक ही जगह पानी मिल रहा है। उसमें भी शुद्घता का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। कोई वाटर फिल्टर नहीं लगा है। इससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

– गजेंद्र सांवरिया, बीए प्रथम सेम

नहीं दिखा सकते

महाविद्यालय में कोई वाटर फिल्टर नहीं खरीदे गए हैं। स्टोर रूम में भी कुछ नहीं रखा है। स्टोर रूम खोलकर नहीं दिखा सकते हैं इससे ज्यादा में कुछ नहीं जानता।

– डॉ. ज्ञानचंद खिमेसरा

प्राचार्य, राजीव गांधी शासकीय महाविद्यालय।

मैंने खरीदे थे

सितंबर 2010 में मुझे 20 दिन के लिए प्राचार्य प्रभार दिया था। उसी दौरान छह वाटर फिल्टर खरीदे थे। उनका 40 हजार रुपए का भुगतान प्रो. आरके सोहोनी ने किया था। अभी 16 जून 15 को प्राचार्य का प्रभार लेने के बाद 17 जून को महाविद्यालय का निरीक्षण किया तो कहीं भी वाटर फिल्टर नहीं मिले। कर्मचारियों से खोज कराई तो स्टोर रूम में वाटर फिल्टर एक पेटी में बंद मिले। तब भी कर्मचारियों को वाटर फिल्टर निकालने के निर्देश दिए थे। लेकिन अगले ही दिन चार्ज चला गया।