जिंदगी का जोश और छुट्टी की मस्ती तीन दोस्तों पर भारी पड़ गई। रास्ता भटके और मौत के पास पहुंच गए। हादसे में किसी का इकलौता चिराग बुझ गया, तो कई परिवारों की उम्मीदें खत्म हो गईं। ये दोस्त मस्ती के मूड में कहीं ओर के लिए निकले, पहुंच कहीं ओर गए। देखते ही देखते हाथ और फिर साथ छूट गया। मस्ती विलाप में बदल गई।
घटना रविवार को बड़वाह के पास चोरल नदी क्षेत्र में हुई। उल्लेखनीय है कि इंदौर निवासी 7 मित्र पिकनिक मनाने पहुंचे। यहां नदी में नहाते वक्त तीन साथियों जय गोविंद (16), आकाश चंदूलाल (18) व नितिन शंकर (20) की डूबने से मौत हो गई। मध्यमवर्गीय परिवारों के तीनों नंदानगर की गली नंबर 2 में रहने थे। सूचना मिलते ही परिवार अस्पताल पहुंचा। अपने बच्चों को इस हालत में देख परिजन बदहवास होकर अचेत से हो गए। उधर साथी मित्रों को भरोसा नहीं हो रहा कि वे अपने तीन दोस्तों के बगैर घर लौटे।
संघर्षों में संवार रहे थे जिंदगी
मध्यमवर्गीय परिवार के मुखिया अपने बच्चों को संघर्षों में रहकर उनकी जिंदगी संवारने में जुटे थे। घटना में मौत का शिकार हुआ आकाश तीन बहनों का दुलारा था। इलेक्ट्रॉनिक्स के डिप्लोमा के कोर्स में फार्म भरकर तैयारी में जुटा आकाश के 29 अगस्त को जन्म दिन मनाने की तैयारियां घर में हो रही थीं। परंतु इस खबर ने सबकुछ नेस्तनाबूद कर दिया।
भाई की मौत की खबर सुनकर बहनें संगीता, रिंकी व पिंकी बदहवास हैं। सेलून दुकान चलाने वाले पिता चंदूलाल अपने बुढ़ापे के सहारे आकाश के चले जाने से सदमे में हैं, बावजूद इसके वे अपनी पत्नी को दिलासा देते रहे। इधर जय घर में इकलौती संतान था। माता-पिता उसे घर में अभिषेक के नाम से पुकारते थे। जय के पिता रंगाई-पुताई का काम कर उसकी शिक्षा को आगे बढ़ा रहे थे।
काश, भाई को रोक लेता
पानी में जान गंवाने वाले नितिन के पिता मिल में काम करते हैं। भाई जितेन्द्र को घर से चौकी धाणी का कहकर निकला नितिन के डूबने की खबर भी जितेन्द्र को ही मिली। अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद उसके शव को इंदौर ले जाते वक्त जितेन्द्र जटिया के मन में यह अफसोस था कि उसने नितिन को जाने से रोका क्यों नही?
महंगा पड़ गया नदी में उतरना
इस घटना में जीवित बचे दोस्त अंकित छब्बू श्रीनिवास (20), शुभम रामआश्व (17), राज छब्बू (15) व रोहित चंद्रशेखर (19) ने बताया कि सभी दोस्त चौकी ढाणी जाने के लिए निकले थे। रास्ते में आकाश ने जयंती माता बड़वाह चलकर पिकनिक मनाने का सुझाव दिया। बड़वाह के कालका माता पुल पर वे रास्ता भूलकर जयंती माता रोड की जगह डोलारी वाले रास्ते पर चले गए।
यहां नदी देख नहाने का मन हुआ। एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चेन बनाकर नहा रहे थे। इसी दौरान आगे वाले तीनों के हाथ बहाव में छूट गए। इन्हें बचाने के लिए गोताखोर सुनील केवट, प्रदीप कोटवाल, मोहन केवट, प्रेम केवट, विजय वर्मा, बाबू केवट, सतीश केवट आदि ने ताकत झोंकी, परंतु काफी देर हो चुकी थी।