नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को जब संबोधित किया था, तो उन्‍होंने बुलेट प्रूफ शील्‍ड को हटवा दिया था। मगर, इस बार सुरक्षा प्रतिष्‍ठान चाहते हैं कि प्रधानमंत्री बुलेटप्रूफ शीशे के पीछे खड़े होकर ही भाषण दें।

गृहमंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस बार हम चाहते हैं‍ कि बुलेटप्रूफ ग्‍लास को फिर से भाषण स्‍थल पर लगाया जाए, ताकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा बेहतर तरीके से हो सके। मोदी को लगातार आतंकियों और चरमपंथियों की ओर से धमकी मिलती रही है।

हालांकि, अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से बुलेट रोधी ग्‍लास को लगाने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले साल मोदी के आग्रह पर भाषण से पहले आखिरी समय पर ग्‍लास को हटा दिया गया था क्‍योंकि मोदी जनता के साथ सीधा संवाद करना चाहते थे।

उनके सुरक्षा अधिकारियों के साथ लंबी बहस के बावजूद भी वह अपनी बात पर अड़े रहे थे। ऐसे में सुरक्षा में हुई कमी की क्षतिपूर्ति के लिए अतिरिक्‍त सुरक्षा उपायों को लागू किया गया था। इस ग्‍लास को लगाए जाने की रवायत वर्ष 1985 की गणतंत्र दिवस की परेड से चली आ रही है।

तब पहली बार राजीवन गांधी के लिए इसे लगाया गया था। सुरक्षा ए‍जेंसियों का आकलन है कि राजीव गांधी के बाद मोदी ऐसे पहले व्‍यक्‍ित हैं, जिनकी जान पर सबसे अधिक जोखिम है। वर्ष 1993 मुंबई बम धमाकों के अरोपी याकूब मेमन को दी गई फांसी और पंजाब के गुरुदासपुर में हुए आतंकी हमले के बाद मोदी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।