अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व प्रमुख जेनेट येलेन के दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाने संबंधी बयान से अमेरिका में ऐसा होने के संकेत पुख्ता हो गए हैं। अमेरिका में नौकरी के उम्मीद से अच्छे आंकड़ें और फेड अधिकारियों के बयानों के कारण इस महीने होने वाली एफओएमसी की बैठक में ब्याज दरें बढ़ाए जाने की संभावना 72 फीसदी तक बढ़ गर्इ्र है। अक्टूबर तक ऐसी संभावना 50 फीसदी थी।

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका के कारण सोने में गिरावट की संभावना बढ़ती ही जा रही है। पिछले महीने सोने की कीमत में 6.8 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।

फेडरल रिजर्व दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाने से पहले स्टेज सेट कर रहा है। येलेन और बोर्ड के दूसरे सदस्य दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाने पर लगातार बयान दे रहे हैं। फेडरल रिजर्व की पिछली बैठक के मिनिट्स से भी ऐसे ही संकेत मिलते हैं। अमेरिका में नौकरी के मौकों में 2.71 लाख की बढ़ोतरी हुई है। औसतन 1.85 लाख मौके बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। जुलाई 2009 के बाद से हर घंटे औसत कमाई में भी इस साल सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इन सभी कारणों से अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाए जाने की संभावना 70 फीसदी तक बढ़ गई है।

हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अमेरिका में हाउसिंग और मैन्युफैक्चरिंग में मंदी देखी जा रही है। नए मकानों की खरीद में कमी दर्ज की जा रही है। एमएनआई शिकागो बिजनेस बैरोमीटर नवंबर में अप्रत्याशित तौर पर गिर गया। इंस्टीट्यूट ऑफ सप्लाई मैनेजमेंट नवंबर मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50 से नीचे है। यह 2009 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन है। हालांकि इन आंकड़ों से ब्याज दरें बढ़ाए जाने के फैसले पर कोई असर होता नहीं नजर आ रहा है।

सोने का आउटलुक

सोने में इस साल लगातार गिरावट आ रही है। गोल्ड मार्केट पर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के संकेतों का लगातार असर हो रहा है। मेटल मार्केट में हम पिछले साल जैसी स्थिति में ही आ गए हैं। इस बार उम्मीद है कि फेड इस पर फैसला ले ही लेगा। फेड की मीटिग के मिनट्स उम्मीद के मुताबिक आए हैं। तर्क यह है कि फेड ब्याज दरें बढ़ाकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भरोसा जता रहा है। यह साख का भी सवाल है। अमेरिका में इस पूरे साल वित्तीय सेक्टर को छोड़कर कंपनियों की आय में गिरावट आई है। एनर्जी और मेटल कंपनियों की आय सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। अमेरिका में कंपनियों की आय गिर रही है और अगली लगातार दो तिमाही तक गिर सकती है। दूसरे शब्दों में अमेरिकी इकोनॉमी में आय की मंदी आ सकती है। डॉलर की मजबूती भी इसमें योगदान दे रही है। ग्राहक अब आयात किए गए सामान ज्यादा आसानी से खरीद सकते हैं। जहां दूसरे देशों में मुद्रा का अवमूल्यन किया जा रहा है, वहीं अमेरिका में फेड की ओर से ब्याज दरें बढ़ाए जाने से डॉलर और मजबूत होगा। इससे मुनाफे में आगे और गिरावट आ सकती है। डॉलर की मजबूती से अमेरिका अपस्फिति (चीजों के दाम थोड़ा-बहुत बढ़ने के बजाए घटने की स्थिति) का आयात कर रहा है। इससे कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आएगी। जहां दूसरे देश इकोनॉमी में ढील दे रहे हैं वहीं अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर बढ़ाने की सीमित ताकत से सोने में अलोकेशन बढ़ने की उम्मीद है।

शुरुआत में उतार-चढ़ाव

फेड की ओर से ब्याज दर बढ़ाए जाने के अगले महीनों में सोने की हालत सुधर सकती है। जब ब्याज दरें बढ़ेंगी तो सोने में शुरुआती बिकवाली हो सकती है। इसके पीछे आगे और ब्याज दरें बढ़ने की संभावना कारण बन सकती है, लेकिन गिरावट सीमित रहेगी। शुरुआती झटकों के बाद सोने के लिए माहौल सुधरेगा। अगर फेड रियल रेट्स को ज्यादा समय तक निगेटिव में रखता है तो सोने में तेजी आएगी। ट्रेडरों की शॉर्ट पोजीशन काटने पर भी सोने में तेजी आ सकती है। सोने की मांग बढ़ने और सेंट्रल बैंक की तरफ से कीमतें रोकने के लिए दिए गए सपोर्ट के अलावा कीमतें नहीं गिरेंगी। वैश्विक स्थिति भी सोने के लिए अच्छी रहने का अनुमान है। सोना अपने पोर्टफोलियों में रखने से पोर्टफोलियो में विविधता रहती है और रिस्क घटती है।