काहिरा। मिस्र की अदालत ने चार वर्षीय बच्चे को चार हत्याएं करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। दिलचस्प यह है कि बच्चे ने हत्याएं तब कि जब वह सिर्फ डेढ़ साल का था। सजा सुनाए जाते वह वक्त कोर्ट में मौजूद नहीं था। यह बच्चा उन 115 आरोपियों की सूची का हिस्सा था जिन्हें काहिरा के दक्षिण में 70 किलोमीटर दूर फेयोम प्रांत में 3 जनवरी, 2014 को अपराधों के लिए सैन्य अदालत में उम्रकैद की सजा दी गई थी।

बच्चे के वकील के मुताबिक अहमद का नाम सूची में गलती से जोड़ा गया था लेकिन कोर्ट ने उसकी उम्र साबित करने वाले दस्तावेजों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उनमें से एक, फैसल अल-सैयद ने कहा कि उसने कोर्ट में अहमद का जन्मप्रमाण पत्र पेश किया जो कथित तौर पर जज ट्रांसफर करने में विफल रहे।
इन आरोपों पर हुई सजा
बच्चे को पश्चिमी काहिरा के सैन्य कोर्ट ने चार हत्याओं, आठ हत्या के प्रयास, संपत्ती के तोडफ़ोड़, शांति भंग करने, सैनिकों और पुलिस अफसर को धमकाने का दोषी पाया गया था।
वकील का आरोप, जज ने केस पढ़ा ही नहीं
वकील कहते हैं राज्य के सुरक्षा बलों द्वारा आरोपियों की सूची में नाम जोडऩे के बाद इस बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र पेश किया गया, लेकिन केस सैन्य अदालत में स्थानांतरित हो गया और बच्चे को अदालत की आगामी सुनवाई में अनुपस्थित होने पर सजा सुनाई गई थी। उनके मुताबिक यह बात साबित करती है कि जज ने केस को पढ़ा नहीं था।
2013 के बाद से है सैन्य शासन
एक अन्य मिस्र के वकील मोहम्मद अबू हुरिरा ने कहा कि केस साबित करता है कि मिस्र के न्याय के तराजू प्रतिवर्ती नहीं हैं और मिस्र में कोई न्याय नहीं है। उनके मुताबिक तर्क ने एक समय पहले आत्महत्या कर ली। मिस्र पागल हो गया था। मिस्र पागलों के एक समूह द्वारा शासित है। 2013 के बाद से, मिस्र राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी के अंतर्गत सैन्य तानाशाही से शासन किया जा रहा है। सरकार का विरोध करने पर लगभग 40 हजार विपक्षी समर्थकों को अब तक जेल में डाला जा चुका है।