सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को करारा झटका देते हुए सहारा समूह के नए प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया है. अब 11 मार्च से पहले रॉय की रिहाई की संभावना खत्‍म हो गई है. आपको बता दें कि कोर्ट ने 11 मार्च को सुनवाई की तारीख तय की थी और कहा था कि वे इससे पहले भी निवेशकों का पैसा लौटाने का प्रस्‍ताव रख सकते हैं. सहारा समूह ने शुक्रवार को तीन दिनों के भीतर निवेशकों के 2500 करोड़ रुपये लौटाने का प्रस्‍ताव रखा, जिसे पर सेबी ने असहमति जताई थी.

सहारा ने अपने प्रस्‍ताव में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह जुलाई 2015 तक निवेशकों के सारे पैसे वापस कर देगा. उसने प्रस्ताव में कहा कि वह तीन दिनों के भीतर 2500 करोड़ का भुगतान करेगा और बाकी रकम हर तीन महीने पर किस्तों में देगा. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के इस प्रस्‍ताव पर सेबी से राय मांगी तो उसने प्रस्‍ताव का विरोध किया. सेबी ने कहा कि कंपनी केवल 17,000 हजार करोड़ भुगतान करने का वादा कर रही है जबकि देनदारी 37,000 करोड़ की है.

सुप्रीम कोर्ट सहारा के इस प्रस्ताव के बाद सुब्रत रॉय पर सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच बनाने पर राजी हो गया, लेकिन बाद में उसने इसे भी खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सहारा का प्रस्‍ताव अदालत का अपमान है. कोर्ट का कहना था कि ऐसे आदमी के लिए इ‍कट्ठा होना अपमान की बात है जो पैसे लौटाना ही नहीं चाहता.

वहीं, सहारा ने आज सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि सुब्रत रॉय और अन्य दो निदेशकों को पुलिस हिरासत में भेजा जाए क्योंकि न्यायिक हिरासत में उन तक पहुंचने में दिक्कत आ रही है. इस पर कोर्ट ने रॉय को अपने वकीलों, बेटे और वित्तीय सलाहकारों से सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक मिलने की इजाजत दे दी.

इसी के साथ सहारा ग्रुप ने कोर्ट से आग्रह किया कि सु्ब्रत रॉय को पैसे जुटाने के लिए हिरासत से छोड़े जाने की अनुमति दी जाए. सहारा का कहना था कि जितने ज्यादा समय तक रॉय हिरासत में रहेंगे, पैसे जुटाने में उतनी ज्यादा मुश्किल होगी.

आपको बता दें कि सुब्रत रॉय फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्हें मंगलवार को उस वक्त जेल भेज दिया गया जब वह सुप्रीम कोर्ट में जजों को संतुष्ट करने में नाकाम रहे. वे कोर्ट को यह नहीं बता पाए कि वे कैसे अपने इन्वेस्टर्स को 20 हजार करोड़ की रकम वापस करेंगे. रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 11 मार्च तक जेल में रहने का निर्देश दिया है.