सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम नहीं, कम्प्यूटर खा रहे धूल
रायपुर। देशभर में इन दिनों डिजिटल इंडिया को लेकर सरकारें सतर्क सी हो गई हैं। कम्प्यूटर, इंटरनेट, वाई-फाई आदि के लिए करोड़ों रुपए की घोषणाएं हो रही हैं। वहीं राज्य स्कूल शिक्षा विभाग स्कूली बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने और कम्प्यूटर सिखाने में फेल साबित हुआ है।
आलम यह है स्कूलों में सूचना प्रौद्योगिकी का ज्ञान फैलाने शुरू की गई तीन साल पहले की कम्प्यूटर शिक्षा योजना दम तोड़ रही है। वहीं इस साल 27 जिलों में प्रस्तावित अंग्रेजी माध्यम के स्कूल नहीं खुल पाए हैं। नतीजा यह हो रहा है कि आधुनिक समय में सरकारी स्कूल के बच्चे पीछे होते जा रहे हैं और अंग्रेजी माध्यम एवं कम्प्यूटर वाले निजी स्कूूलों में फीस को लेकर मनमानी और मोनोपल्ली हावी है।
यह थी कम्प्यूटर पढ़ाने की योजना
सूचना एवं संचार तकनीकी योजना (आईसीटी) के तहत बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा देने के लिए महत्वाकांक्षी योजना अधिकारियों की उदासीनता की भेंट चढ़ गई है। 5 अगस्त, 2013 को 1900 स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा देने के लिए 16 करोड़ रुपए दिए गए थे।
शिक्षा विभाग ने पहले चरण में 653 स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा के लिए कम्प्यूटर खरीदारी तो की, लेकिन बाद में यहां शिक्षक नियुक्त तक करना भूल गए। कुछ स्कूलों में आज तक बिजली नहीं पहुंची तो कम्प्यूटर भी कबाड़ हो गए। कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर 8 से 9 करोड़ रुपए भी फूंक दिए गए। ज्यादातर स्कूलों में सप्लाई किए गए कम्प्यूटर सिस्टम धूल खा रहे हैं।
इन जिलों के लिए थी योजना
साल 2013 में रायपुर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी, कवर्धा, बिलासपुर और मुंगेली जिले के स्कूलों से इस योजना की शुरुआत हुई थी। प्रत्येक स्कूल के लैब में दस-दस कम्प्यूटर सेट, इन्टरनेट, फर्नीचर आदि की व्यवस्था की जानी थी। अधिकारियों का कहना है कि जिस कंपनी को कम्प्यूटर खरीदारी के लिए ठेका दिया गया था उसी ने ही धोखा दे दिया है। एक कंपनी ने कम्प्यूटर तो खरीद दिए, लेकिन बाकी कंपनियां सामने नहीं आईं।
अंग्रेजी माध्यम के स्कूल का अता-पता नहीं
पिछले साल ही स्कूल शिक्षा विभाग ने दावा किया था कि साल 2015-16 से सभी जिलों में एक-एक सरकारी स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में बदला जाएगा। अंग्रेजी के शिक्षकों के लिए आउटसोर्सिंग की जाएगी, लेकिन स्थिति ये है कि अभी तक किसी स्कूल को अंग्रेजी माध्यम का दर्जा नहीं मिला है। न ही अंग्रेजी माध्यम स्कूल के लिए सिलेबस ही तय हो पाया है।