रायपुर/सुकमा। नक्सलवाद की राह छोड़कर पुलिस के समक्ष समर्पण की तैयारी कर रहे तीन नक्सलियों को नक्सली संगठन के लोगों ने मार डाला। इनमें बदरू उर्फ मासा, दरभा दलम के कमांडर हेमला भगत औ उनकी पत्नी कोसी भगत शामिल हैं।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज ने रविवार देर रात इन तीन हत्याओं की पुष्टि की है। यह जानकारी भी मिली है कि रविवार रात 7-8 अन्य नक्सलियों की हत्या की गई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। राज्य पुलिस का कहना है कि इस बारे में मिल रही सूचनाओं की पुष्टि करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

हमारे सुकमा कार्यालय के मुताबिक गादीरास थाना के पेरमापारा में नक्सलियों ने अपने ही साथी बदरू उर्फ मासा की हत्या कर उसका शव जला दिया। घटना तीन दिन पहले की बताई जा रही है। मुखबिर से सूचना मिलने पर सीआरपीएफ 195, एसटीएफ व जिला पुलिस के संयुक्त दल द्वारा मृत नक्सली बदरू के अवशेषों को बरामद किया गया।

बताया जाता है कि बदरू का पिछले कई दिनों से किसी बात को लेकर अपने संगठन से मनमुटाव चल रहा था। रविवार सुबह 8 बजे गादीरास थाने से डिप्टी कमांडेंट रामभरोसे, एसडीओपी प्रफुल कस्सपोटा के नेतृत्व में सीआरपीएफ 195, एसटीएफ व जिला पुलिस बल की संयुक्त टीम पेरमापारा की ओर रवाना हुई । साथ में तहसीलदार व डॉक्टरों की टीम भी शामिल थी ।

सूत्रों के अनुसार तेलंगाना के माओवादी कमांडर निर्मल एक्का, गणेश उइके,देवा उर्फ अनिल, श्याम उर्फ चैतू, सुरेन्दर, विनोद, आयतू द्वारा स्थानीय आदिवासी नक्सलियों की हत्या 3 जुलाई को की। मलेंगिर एरिया कमेटी के अन्तर्गत नक्सली मिलिट्री प्लाटून नं.24 के सेक्शन कमांडर बदरू के शव को लेकर उसके निवास ग्राम परमेपारा, कण्डेरा, थाना गादीरास जिला सुकमा पहुंचे एवं बदरू के परिवार को शव सौंपते हुए कहा गया कि यह पुलिस के पास आत्मसमर्पण करने जा रहा था, इसलिए इसे मारा गया है।

परिवारजनों द्वारा मृतक नक्सली बदरू के शव का अंतिम संस्कार किया गया, जिसकी सूचना पर पुलिस बल द्वारा विधिवत अनुमति प्राप्त कर घटना स्थल पर मृत नक्सली बदरू के जले हुऐ अवशेष को बरामद किया गया। इस मामले में पुलिस ने आरोपी नक्सलियों के खिलाफ थाने में अपराध दर्ज किया है। बताया गया है कि जिन तीन लोगों को मारा गया है। उनके दो अन्य साथी भी थे। इनमें से एक भागकर पुलिस के पास पहुंच गया है। एक अन्य के बारे में अब तक पता नहीं लग पाया है।

गणेश उईके का राजदार भी मारा गया

सूत्रों के अनुसार नक्सलियों ने अपने जिस साथी हेमला भगत की हत्या की है वह नक्सली संगठन के बड़े नेता गणेश उईके का राजदार था। हेमला को इस बात की पूरी जानकारी थी कि गणेश उईके अपना इलाज कराने रायपुर (छत्तीसगढ़), पटना (बिहार) सहित कुछ अन्य जगहों पर जाता था। हेमला को गणेश उईके का दाया हाथ माना जाता था। हेमला द्वारा जब आत्मसमर्पण की तैयारी की गई तो इस बात की जानकारी गणेश उईके को लग गई।

चूंकि गणेश उईके इस बात को अच्छे तरीके से जानता था कि अगर हेमला पुलिस के पास पहुंच गया तो वह उसके बारे में और संगठन की सभी गोपनीय जानकारियां पुलिस को दे देगा। ऐसे में किसी भी समय कोई बड़ा खतरा हो सकता है। लिहाजा हेमला को उसकी पत्नी कोसी भगत के साथ पकड़ा गया। और दो दिन बंधक बनाए रखने के बाद उन दोनों की हत्याएं कर शव जंगल में फेंक दिया गया। यह भी पता लगा है कि एक अन्य नक्सली माड़वी हिंगा की भी हत्या कर दी गई है, लेकिन इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।

नक्सलियों में मतभेद उजागर

छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सलियों में बड़ी संख्या छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की है, लेकिन इनका नेतृत्व तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के नक्सली नेताओं के हाथ में है। सूत्रों के अनुसार बाहरी प्रदेशों के नक्सली छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के साथ भेदभाव करते हैं, साथ ही उनका अपमान और शोषण भी करते हैं। इससे परेशान होकर स्थानीय नक्सली लगातार आत्म समर्पण कर रहे हैं।

यही कारण है कि नक्सलियों के संगठन में फूट पड़ गई है। लगातार आत्म समर्पण से नक्सली नेतृत्व भी परेशान है। ये लोग आत्म समर्पण रोकने के प्रयास में जुटे हैं। राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (नक्सल ऑपरेशन) आरके विज का कहना है कि जिन नक्सलियों के मारे जाने की खबर आ रही है, वे सभी आत्म समर्पण करने के प्रयास में थे। यही वजह है कि उन्हें मारा गया है।