महिलाओं की कामयाबी एक नए मुकाम पर पहुंची है। दसवीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे आने के साथ ऐसी सुर्खियां आम हो चुकी थीं कि ‘लड़कों पर लड़कियों ने बाजी मारी”। तो युवतियों ने अब अपने देश के संभवत: सबसे मुश्किल इम्तिहान में भी वही करिश्मा कर दिखाया है। विभिन्न् प्रशासनिक सेवाओं के लिए इस बार 1,236 उम्मीदवारों का चयन हुआ। इस सूची में सबसे ऊपर के चार स्थानों पर जो नाम हैं, वे सभी महिलाओं के हैं।

अपने समाज में अभी कुछ दशक पहले तक लड़कियां चहारदीवारी के अंदर रहने को अभिशप्त थीं। आज भी आम परिवारों में लड़कों की तुलना में उन्हें हर किस्म के भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। इस पृष्ठभूमि के बीच प्रतिस्पर्द्धा का परिणाम इस तरह पलट जाना किसी सामाजिक क्रांति से कम नहीं है।

इस तथ्य ने इसे और भी उल्लेखनीय बना दिया है कि यूपीएससी नतीजों में टॉप करने वाली इरा सिंघल शारीरिक रूप से विकलांग हैं। इरा ने यूपीएससी प्रवेश परीक्षा 2010 में ही पास कर ली थी। मगर विकलांगता के कारण उन्हें भारतीय राजस्व सेवा में ज्वाइन नहीं करने दिया गया। उनका मार्ग तब प्रशस्त हुआ, जब केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में वे केस जीतीं। बहरहाल, उससे वे संतुष्ट नहीं हुईं। अपना दर्जा बढ़ाने के लिए फिर परीक्षा दी और इस बार वे शिखर पर हैं। सफल उम्मीदवारों की सूची में उनके बाद रेणु राज, निधि गुप्ता और वंदना राव का स्थान है।

जाहिर है, ये महिलाएं आने वाले समय में हजारों नवयुवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। भारत जैसे परंपरागत समाज में भी अपनी प्रतिभा और लगन की बदौलत स्त्रियां अनछुई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती हैं, उनकी वजह से यह आत्मविश्वास नई पीढ़ी की महिलाओं में पैदा होगा। वैसे इस वर्ष की सफलता सूची में भी अनोखी मिसालें हैं। मसलन, उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से लगे कुपवाड़ा जिले की रुवैदा सलाम की उपलब्धि भी कोई कम नहीं है। यूपीएससी परीक्षा में लगातार दो बार सफल होने वाली वे कश्मीर की पहली उम्मीदवार बनी हैं। इस बार 878वें स्थान पर आईं रुवैदा 2013 में अपनी पहली कामयाबी के साथ कश्मीर घाटी में यूपीएससी क्लीयर करने वाली पहली कश्मीरी मुस्लिम महिला बनी थीं। इसके पहले एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कश्मीर की राज्यस्तरीय प्रशासनिक सेवा (केएएस) में भी सफलता पाई थी। 2013 में उन्हें आईपीएस कैडर मिला था।

एक और चर्चित सफलता भोपाल की दो सगी बहनों ज्योति किरण नायडू और निवेदिता नायडू की है। दोनों बहनों ने साथ-साथ यूपीएससी के कामयाब उम्मीदवारों की सूची में अपना स्थान बनाया है। ये नतीजे शनिवार को घोषित हुए, जिस दिन हॉकी वर्ल्ड लीग में जापान को हराने के साथ ही भारतीय महिला हॉकी टीम ने अगले वर्ष के रियो द जनेरो ओलिंपिक्स में खेलने की अपनी संभावना उज्ज्वल कर ली। कहा जा सकता है कि यह अपने देश की महिलाओं का उज्ज्वल युग है, जिसमें वे अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।