मुंबई। मुंबई धमाके में दोषी करार दिए गए याकूब मेमन की फांसी की सजा को 30 जुलाई लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी और मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) ने सरकार के फैसले की आलोचना की है।

सपा नेता अबू आसिम आजमी ने तो याकूब को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उसे फांसी नहीं होनी चाहिए। आजमी ने कहा कि इससे पहले कसाब और अफजल गुरु को फांसी दी गई। फांसी देने के बाद यह जानकारी सार्वजनिक की गई थी, लेकिन याकूब के मामले में राज्य सरकार पहले से घोषणा करके सांप्रदायिक माहौल गरमा रही है।

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रवक्ता रत्नाकर महाजन ने कहा, ‘यह अपरिपक्वता वाला कदम है। ऐसा लगता है कि सरकार इसके जरिए कुछ हंगामा खड़ा करना चाहती है।’ वहीं राकांपा सांसद और वरिष्ठ वकील मजीद मेमन ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मेमन को फांसी पर लटकाने को लेकर इतनी जल्दबाजी में क्यों है, जबकि कानूनी प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।

एमआईएम विधायक वसीम पठान ने कहा कि सरकार को ऐसी जल्दबादी की क्या जरूरत थी। लेकिन शिवसेना प्रवक्ता नीलम गोरहे ने कहा कि यह मामला गंभीर है और सभी भारतीयों को एकजुट रहना चाहिए। विपक्षी पार्टियों का यह भी कहना है कि मेमन ने उपचारात्मक याचिका दायर की है, जिस पर अभी फैसला नहीं आया है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 21 जुलाई को सुनवाई होगी।आरोप हुए थे साबित53 साल के याकूब मेमन मेमन पर पर मुंबई में 1993 में हुए 13 सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम देने वालों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने सहित कई आरोप साबित हुए थे।

2007 में ठहराया गया था दोषी मेमन को मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने 27 जुलाई 2007 में दोषी ठहराया था। मेनन ने निचली अदालत के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी।

बाद में उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। यहां से उसे राहत नहीं मिली। इसके बाद उसने दूसरी बार पुनर्विचार याचिका दायर की है।

‘जो भी किया जाएगा उसे उपयुक्त समय पर सार्वजनिक किया जाएगा। सुपीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला दिया था। उसकी तरफ से जो निर्देश दिया जाएगा महाराष्ट्र सरकार उसके अनुरूप कार्य करेगी।’