विदेशियों के लिए भारत में हिन्दी अध्ययन की सुविधा के लिए पाठ्यक्रमों की एकरूपता के साथ विकल्प के रूप में दूरस्थ केंद्रों को अपनाना होगा। देश भर में एक ही प्रकार के पाठ्यक्रम लागू होने चाहिए।

विश्व हिन्दी सम्मेलन में चल रहे समानांतर सत्रों में विदेशियों के लिए भारत में हिन्दी सुविधा पर आयोजित सत्र के दूसरे दिन यह संकल्प पारित किए गए। मॉरीशस से आईं डॉ. विनोद बाला अरुण ने चर्चा के दौरान पाठ्यक्रम की एक रूपता और सरलता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि जब तक पाठ्यक्रम में एक रूपता नहीं होगी शुद्ध हिन्दी न तो पढ़ी जा सकेगी और न ही इसका विस्तार हो सकेगा। फिजी से आई किरण माला सिंह ने हिन्दी शिक्षण के लिए दूरस्थ प्रणाली के अपनाए जाने की बात रखी।

किए जाएंगे ठोस प्रयास

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दिल्ली से आए विद्वान डॉ. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि हिन्दी के लिए विदेशों में रहने वाले विद्वानों और अन्य विद्वानों को सुझावों के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएंगे। जो भी सुझाव आए हैं, उन्हें संकल्प के रूप में पारित कर उन पर कार्य किया जाएगा।

अंग्रेजी भाषा में हिंदी की तुलना में बहुत कम शब्द हैं, लेकिन दूसरी भाषाओं को अपनाने के कारण अंग्रेजी शब्दकोश विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोश बन गया है। कई शब्दों का पूरी तरह अनुवाद संभव नहीं है। जैसे हमारे आरती उतारना का अनुवाद नहीं किया जा सकता। अंग्रेजी ने इसे ज्यों का त्यों अपना लिया है। इसी प्रकार दूसरी भाषा के वे शब्द जो हमारी परंपरा से नहीं जुड़ते उन्हें हिंदी में ज्यों का त्यों अपना लेना चाहिए।संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी सत्र में मुख्य वक्ता आदित्य चौधरी ने यह बात रखी। उन्होंने बताया कि ऐसे हम हिंदी भाषा को मुक्त आकाश में ले जाएं जहां दूसरी भाषाएं शब्दों के माध्यम से जुड़ सकें।

निष्कर्ष

आईटी क्षेत्र में रोजगार पैदा करने भारतीय भाषाओं में तकनीक की शिक्षा होनी चाहिए। तकनीकी उत्पाद हमारी कंपनियां खरीदें जिससेा हिंदी में भी अंग्रेजी के समान नए उत्पाद सामने आएंगे।

प्रशासन में हिन्दी का उपयोग होना चाहिए। सरकारी दफ्तरों में ज्यादातर काम सरल हिन्दी में होगा। इसकी शुरुआत मप्र से होगी। कुछ इसी तरह का मंथन प्रशासन में हिन्दी विषय के सत्र में हुआ। सत्र की अध्यक्षता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करते हुए कहा कि हिन्दी सभी को जोडऩे वाली भाषा है। प्रो. चन्द्रकला पाडिय़ा ने कहा कोई देश तभी तरक्की कर सकता है, जब उसकी भाषा अंतरराष्ट्रीय हो। प्रो. महेन्द्रपाल शर्मा ने कहा कि तकनीक में उपयोग जोर दिया। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्व विद्यालय के कुलपति बृजकिशोर कुठियाला ने कहा गैर हिन्दी भाषी अधिकारियों को हिन्दी में प्रशिक्षण अनिवार्य अनिवार्य होना चाहिए।

निष्कर्ष

प्रशासन हिन्दी से चलना चाहिए। अगर हिन्दी में प्रशासन का सारा कामकाज होने लगेगा तो आमजना की कई समस्याएं खत्म हो जाएगी। अंग्रेजी के पत्राचार को पूरी तरह से बंद करना होगा।