जयपुर। ललित मोदी विवाद में बुरी तरह फंसी राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री के बचाव में राजस्‍थान प्रदेश भाजपा पूरी तरह से उतर आई है। राजे के हस्‍ताक्षर वाले कागजात सामने आने के बाद राजस्‍थान भाजपा ने शुक्रवार शाम इसे लेकर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की और बताया कि जिन कागजातों पर मुख्‍यमंत्री के हस्‍ताक्षर हुए हैं उन्‍हें कोर्ट में सत्‍यापित नहीं किया गया है।

भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष अशोक परनानी ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि जिन दस्‍तावेजों पर मुख्‍यमंत्री के हस्‍ताक्षर हैं वो कानून द्वारा निर्धारित प्रारूप में नहीं बने हैं। साथ ही मुख्‍यमंत्री के हस्‍ताक्षर इन सभी दस्‍तावेजों में से एक ही पर है।

इनकी वजह से ललित मोदी या किसी और को कोई भी आर्थिक फायदा नहीं पहुंचा है। जहां तक कैंसर अस्‍पताल को लेकर एमओयू साइन करने की बात है तो उन्‍होंने बताया कि यह राजस्‍थान की जनता के हित में लिया गया निर्णय था।

हलफनामें से आर्थिक संबंध साबित

जहां एक तरफ भाजपा ने मामले में राजे के हस्‍ताक्षर से किसी को आर्थिक फायदा नहीं होने की बात कही है वहीं कांग्रेस ने राजे, उनके बेटे और ललित मोदी के बीच आर्थिक संबंध होने का दावा किया है। एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि लगातार सबूत पेश करने के बाद भी भाजपा कहती है मुख्‍यमंत्री ने कुछ नहीं किया है।

मोदी से उनके आर्थिक संबंध के बारे में उन्‍होंने कहा कि 2014 के अपने हलफनामें में मुख्‍यमंत्री, उनके बेटे और बहू के पास क्रमश: 3280, 3350 और 3250 शेयर्स होने की बात लिखी है। इसी कंपनी के शेयर्स ललित मोदी के पास भी हैं जिससे यह साबित होता है कि इन सब के बीच आर्थिक संबंध थे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सबूतों को नहीं मान रही, हो सकता है कुछ दिन बाद वो कहे की ललित मोदी, ललित मोदी नहीं हैं। यह भाजपा को खुद को राष्‍ट्रवादी कहने का ढोंग है।