लाल किला हमला: आरिफ की पत्नी ने कहा, अब मेरे पति को होगी फांसी
नई दिल्ली। याकूब मेमन के बाद अगली फांसी लाल किले पर हमले के दोषी करार दिए गए आरिफ को हो सकती है। आरिफ की पत्नी रहमाना का कहना है कि अब कोई चमत्कार ही उसके पति को फांसी से बचा सकता है। आरिफ पाकिस्तानी नागरिक है और शादी के समय उसने पत्नी को अपनी सही पहचान नहीं बताई थी।
रहमाना नई दिल्ली के पास ओखला में रहती है। लाल किले पर 25 दिसंबर 2000 को हुए हमले में सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे। सिक्योरिटी एजेंसियों ने आरिफ को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बताया है और वह 15 साल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।
एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में रहमाना ने कहा कि यदि याकूब की फांसी टल जाती तो मैं एक बार उम्मीद कर सकती थी कि आरिफ को भी फांसी नहीं होगी। मगर, याकूब के साथ मेरी यह उम्मीद भी खत्म हो गई है। यदि जांचकर्ता एक बार फिर से मामले की जांच करें, तो उन्हें सच्चाई का पता चल सकता है।
रहमाना का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त 2011 को आरिफ की फांसी को बरकरार रखा था। उसकी रिव्यू पिटीशन को 28 अगस्त 2012 में खारिज कर दिया था। आरिफ की क्यूरेटिव पिटीशन भी 23 जनवरी 2014 को खारिज हो चुकी है। हालांकि, दया याचिका पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है।
रहमाना का दावा किया है कि जिस दिन आरिफ को गिरफ्तार किया गया, उस दिन वह पूर्वी दिल्ली में मेरे साथ मेरी बहन के घर था। मैंने खिड़की से देखा कि कुछ लोग घर के बाहर खड़े थे। वे अचानक घर के अंदर घुसे और उन्होंने मुझे, मेरी बहन, मेरी मां, छोटे भाई और आरिफ को अपने साथ पुलिस थाने ले गए। उन्होंने बाकी लोगों को जाने दिया, लेकिन आरिफ और मुझे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बताया कि हमले के बाद लाल किले में तलाशी के दौरान आरिफ के मोबाइल नंबर लिखी पर्ची बरामद हुई। पुलिस ने बताया कि अारिफ ने लाल किले हमले में अपनी भूमिका स्वीकार करते हुए अपने साथी अबु शमाल के बारे में जानकारी दी, जो बाटला हाउस में ठहरा था। उस रात पुलिस आरिफ को लेकर बाटला हाउस पहुंची, जहां मुठभेड़ में वह मारा गया।
पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ के बाद आरिफ को वापस उसके फ्लैट में ले जाया गया, जहां स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक की पे-इन स्लिप मिली। इसमें पांच लाख रुपए कश्मीर के व्यावसायी नजीर अहमद कासिद और उसके बेटे फारुख के खाते में जमा कराए गए थे। पुलिस ने बताया कि आरिफ ने श्रीनगर में काकसद के घर लश्कर की बैठकों में हिस्सा भी लिया था। रहमाना और नौ अन्य लोगों को इस साजिश में आरोपी बनाया गया था।
अभियोजन पक्ष का आरोप है कि आरिफ अगस्त 1997 में पाकिस्तान से भारत आया था और वह श्रीनगर में लश्कर आतंकियों से मिलता था। श्रीनगर से वह नई दिल्ली आया और उसने लाल किले पर हमला करने वालों की मदद की। जांच एजेंसियों का यह भी कहना है कि रहमाना को भी साजिश की पूरी जानकारी थी और उसने हमले के 14 दिनों पहले आरिफ से शादी की थी।