आकर्षक विद्युत रोशनी में नहाया रामघाट, रामघाट क्षेत्र में सजाई गई राणोजी की छत्री, भारी सुरक्षा बंदोबस्त और शिप्रा के जल में पड़ती राणोजी की छत्री की झलक नजारे को बेहद खूबसूरत बना रही थी। इस दौरान जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह समेत पधारे अतिथियों ने शिप्रा जल को अपने हाथों में लियातो देखने वाले श्रद्धा से भर गए। दरअसल शिप्रा के उद्गम स्थल से चलकर नर्मदा की जलधारा रामघाट पर शिप्रा से मिलने निकल पड़ी। इस मौके पर प्रदेश सरकार द्वारा उत्सव का आयोजन किया गया। जहां मुख्य अतिथि और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने शिप्रा – नर्मदा लिंक परियोजना का लोकार्पण किया वहीं उज्जैन पहुंचते ही अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया। अतिथियों में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी अनंत कुमार, सुषमा स्वराज आदि शामिल रहे। उज्जैन पहुंचकर सभी बाबा महाकालेश्वर के दर्शनों के लिए पहुंचे। भाजपा पदाधिकारी बाबा महाकालेश्वर के दर्शन पाकर अभिभूत हो उठे। इस दौरान बारिश थमने के साथ रामघाट पर शहवासियों का जमावड़ा लगना प्रारंभ हो गया। आकर्षक विद्युत सज्जा से घाट का स्वरूप बेहद सुंदर दिखाई दे रहा था। घाट पर शिप्रा आरती के दौरान भी शिप्रा – नर्मदा मिलन का यह पल बेहद अद्भुत लग रहा था।
लालकृष्ण आडवाणी-
16 वर्ष पुरानी कल्पना शिप्रा – नर्मदा लिंक के रूप में पूरी हुई। नदी तट पर रहने वालों का सभी के
साथ सामंजस्य रहता है। नदी के बहाव से लोगों ने नदियों के नाम सिंधु आदि बताए। सबसे पवित्र नदी नर्मदा है। गंगा के महत्व के बाद नर्मदा का महत्व आता है। उन्होंने नदियों के महत्व का उल्लेख करते हुए संस्कृत श्लोक उच्चारित किया । इस दौरान उन्होंने कहा कि शिप्रा में नर्मदा नदी के दर्शन कर खुशी हो रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने देश की सभी नदियों को जोड़ने की कल्पना की। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ने साकार रूप दिया। उन्होंने कहा कि भावी सरकार में नदियों की संस्कृतियों को एक दूसरे से जोड़कर राष्ट्र को समर्थ बनाया जाएगा।

सुषमा स्वराज – इस मौके पर सांसद सुषमा स्वराज ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि महाकाल के दर्शन के साथ नर्मदा और शिप्रा मां का मिलन देखने को मिला। यह अद्भुत प्रसंग है। लोगों को भी ऐसे दर्शन का लाभ मिलेगा। उन्होंने महाकवि कालिदास की रचना मेघदूत का उल्लेख करते हुए कहा कि शिप्रा तट के पर बसी उज्जैन नगरी का जो सौंदर्य कालिदास ने वर्णित किया वह किसी और के ग्रंथ में नहीं मिलता लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मालवा प्यासा हो गया। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के प्रयासों से फिर खुशी का पल देखने को मिल रहा है। उन्होंने नर्मदा मैया नर्मदा शिप्रा के साथ श्री महाकालेश्वर के जयकारे लगाए।

शिवराजसिंह – श्री महाकालेश्वर का स्मरण करते हुए उपस्थितों को संबोधित किया। एक सपना था जो सकार हुआ है। एक संकल्प था जो पूरा हुआ है। स्वामी रामदेव का उल्लेख किया। एक विश्वास दिलाना चाहता हूं कि जो सपना देखा है उसे पूरा करेंगे। प्रदेश को नर्मदा मैया की कृपा और शिप्रा मैया के आशीर्वाद से देश का अग्रणी राज्य बनाऐंगे। जहां 1 हजार फीट के नीचे पानी चला जाए, मालवा को रेगिस्तान बनाने से रोकना है तो एक ही कार्य था नर्मदा मैया का शिप्रा मैया से मिलन। नर्मदा मैया ने हमारी प्यास बुझाई। प्रोजेक्ट के अगले चरणों में नर्मदा मैया कालिसिंध आदि नदियों से भी मिलेगी। देवास शाजापुर जैसे 3 हजार गांवों को पानी मिलेगा। 16 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। नर्मदा मैया शिप्रा मैया का पवित्र संगम है। इस तरह के संगम से मप्र में युवा बेरोजगार नहीं रहेंगे, जीवन स्तर सुधरेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह ने सभी को बधाई दी। प्रदेश को अग्रणी बनाने के लिए हम सभी को एक होना होगा। उन्होंने लोगों से महाकाल महाराज की जय के जयकारे लगवाते हुए नर्मदा मैया और शिप्रा नर्मदा के साथ भारत माता की जय के नारे भी लगवाए। साथ ही लोगों को प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने के लिए संकल्प दिलवाया।