खुद को कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधनों का ‘मजबूत विकल्प’ बताती हुई 11 राजनीतिक पार्टियां मंगलवार को एक मंच पर आ गई। हालांकि, चुनाव सिर पर होने के बावजूद अब तक इन पार्टियों की साझेदारी को कोई औपचारिक आकार नहीं मिल सका है। इसी तरह इन पार्टियों ने यह भी तय किया है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर ये चुनाव से पहले कोई दावा नहीं करेंगे। इस अनौपचारिक या तीसरे मोर्चे में सपा, जदयू, अन्नाद्रमुक, बीजद और चारों वाम दलों सहित 11 पार्टियां शामिल हैं।

मंगलवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जद (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा व माकपा महासचिव प्रकाश करात सहित 11 दलों के नेताओं की मौजूदगी में साझा रणनीति को लेकर लगभग एक घंटे तक चर्चा हुई। बैठक के बाद इनकी ओर जारी साझा बयान में खुद को संप्रग और राजग दोनों से बेहतर विकल्प बताया गया। इस बयान में इन्होंने संप्रग की मौजूदा सरकार पर तो हमला किया ही, लेकिन उससे भी ज्यादा भाजपा और इसके नेतृत्व वाले गठबंधन राजग पर सख्त दिखे।

इन्होंने कहा, ‘खुद को कांग्रेस का विकल्प बताने वाली भाजपा की कोई भी नीति उससे अलग नहीं है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, भ्रष्टाचार और आर्थिक नीतियों पर उनके शासन के रिकार्ड को देख कर साफ है कि ये दोनों पार्टियां जुड़वां भाई हैं। उससे भी बढ़कर वे ऐसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं जो विभाजनकारी है। एकता में बाधक है और सांप्रदायिक सद्भावना को बिगाड़ती है।’ बैठक के बाद मुलायम सिंह यादव ने दावा किया कि इस मोर्चे में शामिल 11 पार्टियों की संख्या में अभी इजाफा हो सकता है।

साझा बयान पर 11 पार्टियों का नाम दर्ज था। हालांकि बीजद प्रमुख नवीन पटनायक और असम गण परिषद के प्रफुल्ल कुमार महंत इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इस बारे में प्रकाश करात ने कहा कि नवीन पटनायक का काफी पहले से ही कोई कार्यक्रम तय था, जबकि महंत की माताजी की तबियत खराब होने की वजह से वह यहां नहीं आ सके। मगर ये दोनों इन फैसलों में साथ हैं।

मोर्चे की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के सवाल पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इस बारे में कोई भी फैसला चुनाव के बाद ही होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास में जब भी तीसरे मोर्चे का प्रधानमंत्री बना है, उनका नाम चुनाव के बाद ही तय हुआ है। इस सिलसिले में उन्होंने मोरारजी देसाई, वीपी सिंह, एचडी देवगौड़ा और इंदर कुमार गुजराल तक के नाम गिनाए।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि चुनाव के बाद भाजपा या कांग्रेस का समर्थन लेने या देने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि भले ही इस मोर्चे को बहुमत मिले या नहीं, लेकिन इन दोनों पार्टियों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

मोर्चे के दल

सपा, जदयू, अन्नाद्रमुक, बीजद, माकपा, भाकपा, आरएसपी, फारवर्ड ब्लॉक, जद (एस), झारखंड विकास मोर्चा, असम गण परिषद।