प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान शुक्रवार को दोनों देशों के बीच 24 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद मोदी ने कहा कि अगर रिश्तों को मजबूती के साथ आगे ले जाना है तो चीन को कुछ मुद्दों पर अपने नजरिए पर नए सिरे से सोचना होगा। मोदी का इशारा पीआेके में चीन के दखल, स्टेपल्ड वीजा और सीमा विवाद की तरफ था। बता दें कि अपनी यात्रा के पहले दिन गुरुवार को भी मोदी ने जिनपिंग से सवाल किया था कि चीन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आर्थिक गलियारे के नाम पर 46 अरब डॉलर का निवेश क्यों करना चाहता है? उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के लोगों को चीन द्वारा स्टेपल्ड वीजा देने का मुद्दा भी उठाया था।
इस बीच, यह भी बताया जा रहा है कि भारत और चीन सीमा विवाद को आपसी रजामंदी वाले तरीके से सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। इसके लिए दोनों देश आगे की बातचीत की रूपरेखा तय करेंगे। चीन के साथ भारत का सीमा विवाद 4000 किलोमीटर क्षेत्र को लेकर है। इसमें से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अक्साई चीन का हिस्सा चीन के कब्जे में है। वहीं, चीन अरुणाचल प्रदेश पर भी दावा करता है।
चीनी प्रधानमंत्री के साथ मोदी की प्रतिनिधिमंडलस्‍तरीय द्विपक्षीय वार्ता के बाद जो समझौते किए गए उनमें शिक्षा, माइनिंग और स्किल डेवलपमेंट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। दोनों देशों के बीच हुए ये 24 समझौते:
1 एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम।
2 माइनिंग एंड मिनरल सेक्टर में सहयोग।
3 चीन के सहयोग से अहमदाबाद में महात्मा गांधी स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट बनाया जाएगा
4 भारत के सहयोग से चीन में योग कॉलेज खुलेगा।
5 अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग।
6 चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के इंटरनेशनल डिपार्टमेंट के साथ भारतीय विदेश मंत्रालय का समझौता।
7 चीन की सरकारी प्रसारण कंपनी सीसीटीवी और दूरदर्शन के बीच सहयोग।
8 टूरिजम के सेक्टर में सहयोग।
9 इंडिया-चाईना थिंक टैंक की स्थापना
10 भूकंप विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सहयोग
11 चीन के डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर और नीति आयोग के बीच सहयोग।
12 समुद्र विज्ञान, क्लाइमेट चेंज के क्षेत्र में सहयोग।
13 चेंगडू और चेन्नई में खुलेंगे कौंसुलेट।
14 ट्रेड निगोशिएशन के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने के मद्देनजर से कौंसुलेटिव मेकेनिजम तैयार किया जाएगा।
15 इंपोर्ट के क्षेत्र में सेफ्टी रेगुलेशन।
16 भू विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग।
17 दोनों देशों के राज्यों और म्यूनिसिपैलिटीज के बीच सहयोग- इंडो चाइना लीडर्स फोरम की शुरुआत।
18 सिस्टर सिटीज चेन्नई और चेंगड़ू के बीच
19 सिस्टर सिटीज हैदराबाद और क्विंगडाऊ,
20 सिस्टर सिटीज औरंगाबाद और डनहंग में बनेंगे
21 सिस्टर सिटीज कर्नाटक और सिचुआन के बीच
22 गांधीवादी अध्ययन के लिए सेंटर बनेगा।
23 वोकेशनल एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में सहयोग
24 रेलवे के क्षेत्र में सहयोग।
चीन से समझौते के बाद रेलवे को सबसे ज्यादा मदद मिलने के आसार |चाईना रिफॉर्म फोरम के सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज के एक्जीक्यूटिव डिप्टी डायरेक्टर मा जियाली ने मीडिया को बताया कि भारत में निवेश को लेकर चीन का नजरिया काफी सकारात्मक है। बेशक इससे रेलवे को काफी ज्यादा मिलने वाला है।
– भारत में रेलवे को आधुनिक बनाने की मोदी सरकार की योजना को जापान, फ्रांस और चीन बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं। इसकी वजह यह है कि रेलवे अगले पांच साल में 137 अरब डॉलर का निवेश चाहता है।
– मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के लिए मोदी जापान के साथ करार कर चुके हैं। अनुमान है कि 5 से 6 साल में 800 अरब रुपए की लागत से यह काम हो सकेगा। लेकिन चीन इस मामले में जापान से आगे निकलना चाहता है। मोदी की यात्रा से पहले पिछले हफ्ते रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मीडिया को बताया था कि कई समझौतों पर चीन से बातचीत चल रही है।
– जापान की दिलचस्पी जहां मुंबई-अहमदाबाद रूट पर है, चीन दिल्ली-चेन्नई के बीच 2000
किलोमीटर के प्रस्तावित हाई स्पीड कॉरिडोर में है। चीन यह भी चाहता है कि जब तक पूरी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो, तब तक वह दिल्ली-आगरा रूट पर काम शुरू कर दे। इस कॉरिडोर पर 2500 अरब रुपए खर्च हो सकते हैं।
-25 अप्रैल को चीन के नेशनल रेलवे ब्यूरो के प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया था। ब्यूरो की वेबसाइट के मुताबिक चीन भारतीय रेलवे के किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में निवेश करने में दिलचस्पी रखता है।
चीनी पीएम ली के भाषण के अहम बिंदु
-हम एशिया के दो इंजन की तरह काम करेंगे।
-अगर वाकई अगली शताब्दी एशिया की होनी है, यह भारत और चीन पर निर्भर करेगा कि वे कठिनाईयों से उभरकर आधुनिक बनें।
-हमें एक दूसरे पर राजनीतिक भरोसा बढ़ाना होगा, जिसके लिए बेहतर कम्यूनिकेशन की जरूरत है।
-दोनों देशों के बीच व्यापार का वॉल्यूम ठीक नहीं, यह संतुलन बनाए जाने की जरूरत है।
-इस बात से इनकार नहीं कि हमारे बीच कुछ मतभेद हैं, लेकिन हम अपने विवाद को हैंडल कर सकते हैं, जिससे रिश्तों के विकास पर असर न पड़े।
-सीमा विवाद पर बातचीत की रफ्तार बढ़ानी होगी। सीमा पर शांति और सौहार्द बढ़ाए जाने की जरूरत है।
पीएम मोदी के भाषण के प्रमुख बिंदु 
-मैं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शियान में मेरी मेहमाननवाजी और शहर के संस्कृति से परिचय कराए जाने से बहुत खुश हूं।
-मैं अपनी सरकार के कार्यकाल के पहले साल में चीन आकर बहुत खुश हूं। यह दोनों देशों के बीच बहुत अहम रणनीतिक साझेदारी है।
-चीन के साथ यह बातचीत बेहद सकारात्मक रहा। दोनों देश हाई लेवल टास्क फोर्स बनाएंगे, जिससे आपसी सहयोग बढ़ेगा।
-लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के मुद्दे पर चीन ने हमारी चिंताओं को तवज्जो दी।
-मेरी चीन यात्रा बेहद सकारात्मक रही। मैं चीन के पीएम को भारत आने का न्योता देता हूं।