चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता यू यू ललित और गौरव भाटिया ने इसके लिये क्षमा याचना की. इससे पहले, पीड़ित की वकील ने सरकार की इस भूल की ओर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया था.

राज्य सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में दाखिल एक नोट में गैंगरेप पीड़ितों के नाम उजागर किये थे जिसकी कानून में अनुमति नहीं है. बलात्कार पीड़ितों की वकील कामिनी जायसवाल ने कोर्ट से इसकी सीबीआई जांच कराने का अनुरोध करते हुये कहा कि राज्य पुलिस ठीक तरीके से जांच नहीं कर रही है और आरोपियों के बच निकलने की पूरी संभावना है.

शीर्ष अदालत इन दंगों से प्रभावित लोगों के लिये राहत और पुनर्वास उपायों की निगरानी कर रही है. कोर्ट इस समय इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई कर रहा है.