नई दिल्लीः वर्ष 2013-14 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मूंगफली की फसल खरीदने में केंद्र के विफल रहने और इस साल गुजरात में मॉनसून की देरी से भारत में वर्ष 2014-15 के दौरान खरीफ मूंगफली का उत्पादन 24 फीसदी कम रहेगा। केंद्रीय तेल उद्योग एवं कारोबार (सीओओआईटी) ने यह बात कही है। इसके अनुसार देश में वर्ष 2014-15 के खरीफ सीजन में मूंगफली उत्पादन 35.7 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन 47.1 लाख टन से 24.28 फीसदी कम है। देश में चालू वित्त वर्ष के दौरान मूंगफली का रकबा करीब 14 फीसदी कम रह सकता है। वर्ष 2013-14 में 43.2 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की बुआई हुई थी, जबकि प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक 2014-15 में 37.2 हेक्टेयर में बुआई हुई है। यह बुआई में 13.77 फीसदी कमी है।

वनस्पति तेल उद्योग और कारोबार के सर्वोच्च संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, ‘पिछले साल मूंगफली के अच्छे उत्पादन के बावजूद केंद्र एमएसपी पर फसल खरीदने में विफल रहा। इस वजह से किसानों को कपास और अन्य फसलें अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ा है। इस कारण देश में मूंगफली का रकबा घटा और इसलिए उत्पादन भी कम रह सकता है।’ मेहता ने कहा, ‘इस साल गुजरात में मॉनसून देर से यानी जुलाई मध्य के बाद आया। इससे किसानों को अन्य फसलों की बुआई के लिए बाध्य होना पड़ा।’ गुजरात देश का सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक राज्य है।

गुजरात में वर्ष 2014-15 के खरीफ सीजन में मूंगफली का उत्पादन 14.4 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले साल के उत्पादन 25 लाख टन से 42.40 फीसदी कम है। राजस्थान में इस साल उत्पादन 6.50 लाख टन रह सकता है, जो पिछले साल से 25 फीसदी ज्यादा होगा। गौरतलब है कि राजस्थान दूसरा सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक राज्य है। राज्य में 2013-14 के दौरान उत्पादन 5.20 लाख टन रहा था। इस साल मूंगफली का उत्पादन तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में करीब 3.80 लाख टन रहने का अनुमान है। कर्नाटक में उत्पादन 3.10 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले साल के उत्पादन 3.50 लाख टन से कम है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में उत्पादन करीब 2 लाख टन रहने का अनुमान है।