लोकसभा चुनाव से ठीक पहले संप्रग को अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे नेशनल कांफ्रेंस से एक और झटका मिल सकता है। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रही इस पार्टी ने कांग्रेस हाईकमान को सहयोग नहीं मिलने पर राज्य में गठबंधन तोड़ने की चेतावनी दे दी है। पार्टी प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला राज्य में सात सौ नई प्रशासनिक इकाइयां गठित करना चाहते हैं। इस काम में राज्य के कांग्रेस मंत्रियों से सहयोग नहीं मिलने से वह नाराज हैं।

नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक पार्टी राज्य में गठबंधन सरकार को जारी रखने को लेकर जल्द ही कोई सख्त फैसला ले सकती है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा देकर पांच साल से चल रही गठबंधन सरकार को समाप्त कर सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस चुनाव से ठीक पहले इसे दबाव की राजनीति मान कर चल रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस चेतावनी के बावजूद हड़बड़ी में कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।

इस संबंध में अब्दुल्ला ने कांग्रेस की राज्य प्रभारी अंबिका सोनी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद की मौजूदगी में भी पार्टी के राज्य अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज से बात की थी। इससे पहले वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। अब्दुल्ला सरकार पिछले कई महीनों से राज्य में 23 सब डिवीजन और 57 तहसील सहित कुल सात सौ नई प्रशासनिक इकाइयां गठित करना चाहती है। मगर कांग्रेस के मंत्री इसमें सहयोग नहीं कर रहे। इसी वजह से राज्य कैबिनेट में यह फैसला नहीं हो पा रहा।

नेशनल कांफ्रेंस का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं को लगता है कि इससे चुनाव में कांफ्रेंस का फायदा हो जाएगा, इसलिए वे इसे लागू नहीं करने दे रहे। जबकि कांग्रेस का कहना है कि इसमें क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखना जरूरी है।

लोकसभा चुनाव जहां अप्रैल-मई में होने वाले हैं, वहीं राज्य के विधानसभा चुनाव भी इसी साल नवंबर से पहले होने हैं। ऐसे में नेशनल कांफ्रेंस में कुछ नेता दोनों चुनाव एक साथ ही करवाने की भी वकालत कर रहे हैं। इन्हें लग रहा है कि अगर दोनों चुनाव साथ हुए तो लोकसभा की कुछ सीटों की कीमत पर पार्टी को गठबंधन में विधानसभा की ज्यादा सीटें मिल सकती हैं।