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मालेगांव ब्लास्ट केस में एक पूर्व सरकारी वकील ने बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर को यह दावा करने के लिए फटकार लगाई कि उन्हें 26/11 के हीरो हेमंत करकरे की अगुवाई वाली टीम द्वारा जांच के दौरान प्रताड़ित किया गया था.

हालांकि, बाद में अपने बयान पर घिरने के बाद और आलोचनाओं के बीच प्रज्ञा ने अपनी अपमानजनक टिप्पणी वापस ले ली. प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच के दौरान पुलिस पर कई बार गंभीर अत्याचार करने का आरोप लगाया है. बता दें कि मालेगावं ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हो गई थी. बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर बीजेपी की टिकट पर भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं.

इस केस की पूर्व सरकारी वकील रोहिणी साल्यान ने स्पष्ट किया कि प्रज्ञा ठाकुर को यातना देने या अवैध हिरासत में रखने का कोर्ट को कोई सबूत नहीं मिला. मैंने कभी सुना नहीं कि एक साध्वी ने शाप दिया और कोई शख्स मर गया. ये टिप्पणियां (हेमंत करकरे के खिलाफ) अनुचित और बिना सोचे समझे हैं. मुझे लगता है कि वह प्रचार के लिए ऐसा कर रही हैं क्योंकि वह चुनाव लड़ रही हैं. इस तरह की अवांछित टिप्पणियां घटिया हैं.

पूर्व वकील सलियन ने प्वाइंट आउट किया कि कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर के मामले में यातना या अवैध हिरासत का कोई सबूत नहीं पाया था. इसलिए उन्होंने (अभियुक्त) ने उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें मेडिकल रिपोर्ट सहित सभी रिकॉर्ड थे, मगर इसके बाद भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई.

पूर्व वकील रोहिणी साल्यान ने भाजपा के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि उसके भोपाल के उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा को पिछली कांग्रेस सरकार ने फंसाया था. उन्होंने कहा कि ‘दोनों अभियुक्तों को आखिरी बार भोपाल में प्रज्ञा ठाकुर के साथ देखा गया थ, इस बात के भी सबूत हैं. साध्वी प्रज्ञा का वाहन (एक स्कूटर) उसी परिसर में पड़ा हुआ था, जहां वे रह रहे थे. अंत में, इस स्कूटर को ब्लास्ट की जगह पर ले जाया गया और वहां इस्तेमाल किया गया.