शरद पवार (फाइल फोटो)

शरद पवार (फाइल फोटो)

खास बातें

  • पवार की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात पर चर्चाओं का बाजार गर्म
  • संघ सूत्रों का दावा, भाजपा की अगुवाई में बन सकती है सरकार
  • सवाल : सहमति के बाद भी सरकार क्यों नहीं बना रहे तीनों दल
  • 2014 में भी सरकार बनाने में भाजपा की मदद कर चुके हैं पवार
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के लिए अब तक जारी सियासी खींचतान के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्यसभा में एनसीपी की तारीफ के बाद बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की प्रधानमंत्री से मुलाकात से चर्चाओं का बाजार गर्म है।

सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य में शिवसेना, कांग्रेस के साथ सरकार बनाने में जुटे पवार सीधे या परोक्ष रूप से भाजपा के मददगार साबित हो सकते हैं। वैसे भी भाजपा से बहुत दूर जा चुकी शिवसेना भी राज्य में कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनने को ले कर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।

दरअसल शिवसेना के आधिकारिक रूप से भाजपा से अलग होने के बाद पवार ने अपने कदमों से कई बार चौंकने पर मजबूर किया है। संघ सूत्रों का दावा है कि राज्य में भाजपा की अगुवाई में सरकार बन सकती है। अगर इस बीच किसी तरह शिवेसना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बन भी गई तो ज्यादा देर तक नहीं चल पाएगी।

वैसे भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, सत्ता में विभिन्न दलों की साझेदारी, बीएमसी, राज्यसभा, विधान परिषद चुनाव के लिए फार्मूले पर सहमति बनने के बावजूद तीनों दल मिल कर अब तक राज्यपाल के समक्ष दावा नहीं कर पाए हैं। इसलिए सवाल उठ रहा है कि जब सभी बिंदुओं पर सहमति बन गई है तब तीनों दल सरकार क्यों नहीं बना रहे?