पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) सरगना मौलाना मसूद अजहर द्वारा एक रैली को संबोधित किए जाने के बाद आतंकवाद को लेकर सरकार के रुख पर सवाल उठने लगे हैं.

एक पाकिस्तानी समाचारपत्र ने रविवार को आतंकवाद को लेकर सरकार के रुख पर सवाल खड़े किए.‘डॉन’ अखबार ने लिखा है कि लंबे समय के बाद अजहर का फिर से सक्रिय होना ‘‘उग्रवाद के खिलाफ देश की नीतियों पर सवाल खड़े करता है .’’ जेईएम की रैली में पत्रकारों को कैमरे या मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी . जहां तक पहुंचने के लिये पुलिस ने पांच जांच गेट लगाये थे.समाचारपत्र डॉन के मुताबिक, मसूद अजहर ने लंबे समय बाद किसी रैली में हिस्सा लेते हुए टेलीफोन के माध्यम से आवाम को संबोधित किया.माना जाता है कि मसूद अजहर ही 2001 के भारतीय संसद हमले की घटना का मास्टरमाइंड था, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ते-छिड़ते रह गया.डॉन ने अपने लेख में कहा, “लंबे अंतराल के बाद किसी प्रतिबंधित संगठन के नेता का फिर से सार्वजनिक रूप से सामने आना आतंकवाद को लेकर सरकार के रुख को लेकर सवाल खड़े करता है.”डॉन ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन के नेताओं का फिर से सक्रिय होना कोई आकस्मिक घटना नहीं मानी जा सकती. “यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंताजनक बात है.”मुजफ्फराबाद रैली का आयोजन संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु की किताब के लोकार्पण के लिए किया गया था, जिसे फांसी की सजा दी गई.मसूद की पार्टी जेईएम को परवेज मुशर्रफ की सैन्य सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था, बावजूद इसके मसूद को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.