मप्र से लोकसभा में महिलाओं को नहीं मिला ज्यादा मौका
देश की अधिकतर राजनीतिक पार्टियां महिलाओं के लिए संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण के समर्थन का दावा करती हैं, लेकिन आंकड़े देखें तो हकीकत इससे कोसों दूर है। मप्र में ही अब तक किसी भी लोकसभा चुनाव में 20 प्रतिशत सीटों पर भी महिला सांसद नहीं रहीं।
वर्ष 2014 के चुनाव में प्रदेश की 29 में से मात्र पांच सीटों पर महिलाएं जीत सकीं। अन्य चुनाव में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं दिखी। 1977 की जनता लहर में तो तब की 40 सीटों में से एक पर भी महिला सांसद नहीं बनी थी। 2009 में सबसे ज्यादा 6 महिला सांसद प्रदेश से चुनी गईं। इसके अलावा 1962 में भी 6 महिलाएं लोकसभा चुनाव जीती थीं, लेकिन तब प्रदेश में 36 सीटें थी और 2009 में 29 सीटें रह गई। इस लिहाज से 2009 में ही इनका प्रतिशत सबसे ज्यादा रहा।
विजयाराजे और महाजन 8-8 बार जीतीं : भाजपा की दिग्गज नेता ग्वालियर राजघराने की विजयाराजे सिंधिया और वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन प्रदेश से सबसे अधिक 8-8 बार चुनाव में विजयी हुईं। सिंधिया ने 6 बार गुना और 1-1 बार ग्वालियर व भिंड से जीत हासिल की। वहीं, महाजन 1989 में पहली बार इंदौर से जीतीं और लगातार 8 बार की सांसद हैं। भाजपा की उमा भारती भी 4 बार खजुराहो और 1 बार राजधानी भोपाल से विजय पताका फहरा चुकी हैं।
पार्टी के सर्वे रिपोर्ट में जहां महिलाओं की स्थिति अच्छी है, उन्हें टिकट मिलेगा। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी महिलाओं को ज्यादा टिकट देने की बात कह चुके हैं। आरक्षण से ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आगे आएंगी। – मांडवी चौहान, प्रदेश अध्यक्ष, महिला कांग्रेस
आरक्षण से ही बात बनेगी
हर पार्टी जिताऊ प्रत्याशी चाहती है। लोकसभा चुनाव में महिलाएं कम पार्टिसिपेट करती हैं। उनको राजनीति में ज्यादा स्थान मिलना चाहिए। 33 प्रतिशत आरक्षण होगा, तो हर पार्टी को महिलाओं को टिकट देना ही पड़ेगा। – लता ऐलकर, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा