पुलिस (फाइल फोटो)

मध्यप्रदेश में नेताओं-अफसरों के आपत्तिजनक वीडियो बनाने वाली ब्लैकमेलर गैंग की करतूतों की जांच के लिए सोमवार को डीजीपी विजय कुमार सिंह ने 12 सदस्यीय एसआईटी गठित कर दी। इसके लिए 1997 बैच के आईपीएस डी. श्रीनिवास वर्मा को चीफ बनाया गया है। वर्मा इन दिनों आईजी सीआईडी हैं।

एसआईटी की इस टीम में उनके अलावा एसपी, एएसपी, सीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के लगभग 12 अफसरों को शामिल किया जाएगा। उधर, इंदौर नगर निगम के प्रभारी आयुक्त कृष्ण चैतन्य ने अधीक्षण यंत्री हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया है।

अपने आदेश में उन्होंने कहा कि हरभजन का कृत्य पहली दृष्टि में ही अशोभनीय होकर नैतिक पतन का परिचायक है। इस स्थिति को देखते हुए हरभजन को मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 09 के तहत तत्काल प्रभाव से से निलंबित किया जाता है।

पुलिस मुख्यालय के मुताबिक पलासिया थाने में 17 सितंबर 2019 को इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग मामला दर्ज किया गया था। भोपाल के सागर लैंडमार्क निवासी आरती दयाल पर आरोप था कि उसने हरभजन का आपत्तिजनक वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया है।

इंदौर पुलिस ने आरती दयाल के साथ मोनिका यादव, श्र्वेता विजय जैन, श्र्वेता स्वप्निल जैन, बरखा सोनी और आरती के ड्राइवर को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने कई मंत्रियों, नेताओं और अफसरों को उनके वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमिल किया था। उन्होंने लोगों से मोटी रकम भी वसूली थी।

इस मामले में इंदौर एसएसपी रूचि वर्धन मिश्र ने पलासिया थाना प्रभारी अजीत सिंह बैस को लाइन अटैच कर जांच का जिम्मा शशिकांत चौरसिया को दिया है। हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह द्वारा सोमवार को एसआईटी गठित की गई है।

डीजीपी सिंह ने एसआईटी को इस घटना के हर पहलू की बारीकी से जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिए हैं। मामले में डीजीपी का कहना है कि जांच एक जिले तक सीमित नहीं है। बहुत सी जानकारियां सामने आ रही हैं, इसको देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया है।